मुंबई। महाराष्ट्र में सूखा निवारण के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को 2160 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता दी है। परंतु कांग्रेस का आरोप है प्रदेश में सूखे से गंभीर हालात हैं, बावजूद इसके भाजपा-शिवसेना सरकार की योजना कहीं भी नजर नहीं आ रही है। राज्य में चारे और पानी की कमी से सूखा प्रभावित क्षेत्रों से लोग पलायन करने को मजबूर हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण के मुताबिक सूखाग्रस्त मराठवाड़ा समेत सोलापुर और अन्य क्षेत्रों से पलायन की काफी संख्या बढ़ी है। इन क्षेत्र के लोगों ने पुणे और मुंबई जैसे शहरों में जाकर रिश्तेदारों का सहारा लेना शुरू कर दिया है। कुछ लोग को मुंबई के फुटपाथ अथवा फ्लाईओवर के नीचे खाली जगह का सहारा लेना पड़ रहा है। राज्य सरकार को उन्हें उचित मदद देने की जरूरत है। प्रदेश में सूखे की गंभीर स्थिती बनी हुई है। उस पर रोजगार की भी समस्या है। सरकार की कारगर योजना नहीं होने से आम जनता त्रस्त हो गई है। राज्य सरकार सूखे की स्थिति को संभालने में पूरी तरह से विफल रही है।
चव्हाण ने सूखे पर सरकार की विफलता गिनाते हुए बताया कि पशुपालन मंत्री महादेव जानकर जत और मेडिकल मंत्री गिरीश महाजन जुन्नर में सूखे का जायजा लेने गए थे। दोनों मंत्रियों को किसानों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। इससे साबित होता है कि लोग कितने परेशान हैं। परंतु सरकारी स्तर पर सूखे को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के मुताबिक सूखे की स्थिति का सामना करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार को आर्थिक मदद मिली है। चव्हाण ने सवाल उठाया कि तो क्या बारिश शुरू होने के बाद सूखा राहत की धनराशि बांटी जाएगी। आखिर यह आर्थिक मदद केंद्र से मिलने में इतनी देरी क्यों हुई।
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