मुंबई। महाराष्ट्र में लगातार घट रही गदहों की संख्या पर पशुपालन विभाग ने चिंता जताई है। मंत्री महादेव जानकर के अधीन पशुपालन विभाग ने प्रदेश में गदहों की घटती संख्या पर चिंता जताते हुए सभी जिला कलेक्टरों को नोटिस जारी किया है और उन्हें गधों की सुरक्षा के लिए तत्काल कारगर कदम उठाने का निर्देश दिया गया है।
वन विभाग बाघों की संख्या बढ़ाने को लेकर सक्रिय है। इसी तर्ज पर अब पशुपालन विभाग ने भी गधों को लेकर सक्रियता दिखाई है। मुख्य रूप से गधों का उपयोग गांव के मेले में खेल, माल और कपड़े की ढुलाई में होता है। इसीतरह ईंट-भट्टों पर गदहे और खच्चर का उपयोग होता है। मादा गधे के दूध की भी मांग है। इनका अस्तित्व बरकरार रहे इसलिए पशु पालन विभाग ने राज्य में गधों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए हैं।
सबसे चौंकानेवाली बात यह है कि गधों के अवयव और रक्त का इस्तेमाल कई बार पशुओं के आहार में किया जाता है। इसके अलावा गधों के खून का उपयोग बीमारियों के इलाज के लिए भी किया जाता है। लिहाजा फायदे के लिए गधों की हत्या की जाती है, जिससे गधों की प्रजाति विलुप्त होने का डर है। पशुपालन विभाग के अतिरिक्त आयुक्त डीडी परकाले के मुताबिक गधे रहें औऱ उनकी प्रजाति अस्तित्व में रहे, इसलिए विभाग ने गधों को संरक्षण देने का निर्देश जारी किया है।
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