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Tuesday 14 May 2019

हरदोई- लाखों खर्च कर गांवो में बने उप स्वास्थ्य केंद्रों पर लटक रहे ताले

आखिर झोलाछाप डॉक्टरों के हौंसले क्यों बुलंद न हों जब गांवों में ज्यादातर अस्पताल महीनों बंद रहते हैं। इनमें न ही डाक्टर हैं और न ही सफाई कर्मी सहायक स्वास्थ्यकर्मी (एएनएम) नियमों को ताक पर रखकर या यूं कहें कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से घर पर आराम करतीं हैं

बिलग्राम हरदोई। । ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने करोड़ों रुपये खर्च कर गांवों में उप स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना कराई ताकि ग्रामीणों को प्राथमिक उपचार के लिए झोलाछाप डॉक्टरों के पास न दौड़ना पडे और उनके द्वारा किये गये ऊलजलूल इलाज की हानियों से ग्रामीणों को बचाया जा सके। इसी के मद्देनजर बिलग्राम क्षेत्र के अंतर्गत भी २३ गावों में उप स्वास्थ्य केन्द्र बनाये गये थे। इन अस्पतालों के बनते ही ग्रामीणों की उम्मीद जगने लगी थी कि अब गांववासियों को भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ गांव में ही मिलने लगेगा पर ऐसा हुआ लेकिन कुछ सालों तक जिसके बाद ये उपकेंद्र भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गये और इन पर कई जगह ग्रामीणों का कब्जा होने लगा जिससे ये अस्पताल उनके निजी कामों में इस्तेमाल होने लगे। इनके रखरखाव के लिए आने वाला धन भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। वक्त पे इन अस्पतालों की सफाई सुथराई न होने के चलते ये खंडहरों में तब्दील होते जा रहे हैं। इनमें तैनात सहायक स्वास्थ्यकर्मी (एएनएम) नियमों को ताक पर रखकर या यूं कहें कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से घर पर आराम करतीं हैं। और महीनों अस्पताल का रुख नहीं करतीं अब ऐसे में ग्रामीणों को बेहतर इलाज मिलना उनके लिए सपने से ज्यादा और कुछ नहीं। अभी हाल के महीनों ये आदेश आया था कि अब गांव मे बने उप स्वास्थ्य केंद्रों पर ही प्रसव कराने की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी जिसमें बिलग्राम क्षेत्र के गांवों में बने २३ उपकेंद्रों में से पांच उप स्वास्थ्य केंद्रों को चुना गया था लेकिन कई महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक एक भी गांव में प्रसव कराने की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है।

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