शपथ से पहले मोदी-शाह की मैराथन बैठक
पीएम मोदी के शपथ ग्रहण में दिखेगा ‘पॉवर बैलेंस’!
जेटली ने स्वास्थ्य कारणों से किया किनारा
वित्त, विदेश, रक्षा व गृह मंत्रालय पर निर्णय मुश्किल
नीरज अवस्थी/ रवि गुप्ता
तरुणमित्र। लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत दर्ज करने के बाद गुरूवार को नरेंद्र दामोदार दास मोदी दोबारा प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। इसके साथ ही मंत्रीमंडल में शामिल होने वाले सदस्यों को लेकर भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों में विचार-विमर्श शुरू हो गया है। प्रबल संभावना है कि दोबारा पीएम पद का दायित्व संभालने जा रहे, मोदी अपने साथ-साथ कुछ विशेष व अति महत्वपूर्ण विभागों के कैबिनेट मंत्रियों व स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों को भी शपथ दिलाने के लिए आगे बढ़ायेंगे। पार्टी के विश्वस्त सूत्रों का यह भी कहना है कि अबकी बार जिस तरीके से जनता ने बीजेपी नीत एनडीए को स्पष्ट जनादेश दिया है, ऐसे में मोदी अपने नये मंत्रिमंडल में हर लिहाज से ‘पॉवर बैलेंस’ की नीति पर चलेंगे।
वहीं इन सब के बीच प्रधानमंत्री के पुराने मंत्रीमंडल के सहयोगी और पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर कैबिनेट में शामिल नहीं करने की गुजारिश की है। सेहत का हवाला देते हुए जेटली ने पत्र में लिखा है कि पिछले 18 महीने से गंभीर शारीरिक समस्याओं से गुजर रहा हूं, इसलिए मुझे मंत्रिमंडल में शामिल होने की जिम्मेदारियों से अभी मुक्त करें। राजनीतिक जानकारों के अनुसार नवगठित होने जा रहे मोदी मंत्रिमंडल की टीम में एनडीए घटक दलों में से बिहार से नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को दो, रामविलास पासवान की लोजपा को एक, बंगाल से दो, उड़ीसा से दो, झारखंड व छत्तीसगढ़ से एक-एक, उत्तराखंड व पंजाब से एक-एक, राजस्थान व मध्य प्रदेश से दो-दो, महाराष्ट्र से दो, जम्मू-कश्मीर से एक, दिल्ली से दो तथा दक्षिण व पूर्वोत्तर राज्यों से तकरीबन आधा दर्जन और यूपी से सबसे अधिक मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है। हालांकि मोदी की इस टीम में किसे कैबिनेट, किसे राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और किसे राज्य मंत्री का दर्जा दिया जायेगा…अभी तक इसके कुछ स्पष्ट संकेत नहीं मिल पाये हैं। बहरहाल, मोदी-शाह के समक्ष यह सबसे बड़ी चुनौती दिखायी दे रही है कि जेटली, सुषमा स्वराज, मनोहर पर्रिकर जैसे कद्दावर नेताओं की अनुपस्थिति में इनसे जुडेÞ अहम मंत्रालयों क्रमश: वित्त, विदेश व रक्षा जैसे विभागों का दायित्व किसे सौंपा जायेगा। वहीं सत्ता-शासन में यह भी चर्चा चल रही है कि शाह को अगर गृह मंत्रालय का जिम्मा दिया गया तो फिर राजनाथ सिंह को कैसे मनाया जायेगा।
इसके पहले, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लगभग तीन घंटे की मैराथन बैठक की। समझा जाता है कि दोनों नेताओं ने नई सरकार के गठन व नये मंत्रिमंलडल में भाजपा समेत अन्य सहयोगी दलों को कैसे समायोजित करना है उस पर बारीकियों से चर्चा की। राजनीतिक गलियारे में कयास तो यह भी लगाया जा रहा है कि मोदी-शाह की इस मुलाकात में इस बात पर भी चर्चा हुई होगी कि किन नेताओं को मंत्री बनाना है और किन्हें किस मंत्रालय का प्रभार सौंपना है। भाजपा में एक तबके का मानना है कि अभूतपूर्व बहुमत से सत्ता में पार्टी की वापसी कराने में अहम भूमिका निभाने के बाद शाह सरकार में सबसे अधिक महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री पद संभाल सकते हैं। हालांकि, शाह ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। मोदी और शाह की मुलाकात में किन मुद्दों पर बात हुई, इस बारे में आधिकारिक तौर पर तो कुछ नहीं कहा गया, लेकिन माना जाता है कि दोनों नेता दूसरी बार गठित होने जा रहे मोदी सरकार के मंत्रिमंडल की टीम में अपने से जुडेÞ हर दल और प्रत्येक राज्य को स्थान देंगे। पार्टी सूत्रों की मानें तो नई मंत्रिपरिषद में पश्चिम बंगाल, उड़ीसा व तेलंगाना जैसे राज्यों में भाजपा ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है, ऐसे में इन राज्यों से चुने गए सांसदों को मंत्री पद दिया जा सकता है। जबकि कई नेताओं का मानना है कि पिछली सरकार के सबसे प्रमुख सदस्यों को मंत्री पद पर बरकरार रखा जा सकता है।
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