लखनऊ। लोकसभा चुनाव के मतदान का आखिरी चरण अभी बाकी ही है, लेकिन विपक्ष संभावित समीकरणों को लेकर ऐक्टिव हो गया है। आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने सक्रियता दिखाते हुए शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और फिर एनसीपी चीफ शरद पवार से दिल्ली में मुलाकात की। इसके बाद उनका एसपी चीफ अखिलेश यादव और बीएसपी की मुखिया मायावती से भी मिलने का कार्यक्रम है। नायडू की यह सक्रियता तीसरे मोर्चे की संभावनाओं के तौर पर देखी जा रही है।
बता दें कि कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि बीजेपी केंद्र की सत्ता से बेदखल करने के लिए हम पीएम का त्याग कर सकते हैं। हालांक बाद में वह अपने बयान से पलट गए, लेकिन माना जा रहा है कि बीजेपी को बहुमत न मिलने की स्थिति में कांग्रेस किसी अन्य विपक्षी नेता के नाम पर भी पीएम के लिए सहमति जता सकती है।
माना जा रहा है कि केंद्र में कर्नाटक मॉडल पर सरकार बनाने की जुगत शुरू हो सकती है। इस बीच जेडीएस के मुखिया एचडी देवेगौड़ा ने कांग्रेस के साथ मतभेद की अटकलों को खारिज करते हुए कहा है कि वे कांग्रेस को समर्थन के लिए तैयार हैं। ऐसे में अटकलों का दौर शुरू हो गया है। बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में नतीजों के दौरान अपनी सरकार नहीं बनते देख कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देने की घोषणा कर दी थी। इसके बाद एच डी कुमारस्वामी राज्य के सीएम बने थे।
माया-अखिलेश 23 के बाद खोलेंगे पत्ते!
बता दें कि कांग्रेस चाहती है कि सभी गैर-एनडीए नेता नतीजों से पहले एक बार बैठक करें जबकि माया और अखिलेश ने नतीजों पहले किसी भी तरह के जोड़-तोड़ से अभी तक परहेज कर रखा है। वहीं, सूत्रों की मानें तो नायडू दोनों नेताओं को दिल्ली में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर पर होने वाली बैठक में शामिल होने के लिए मनाने की कोशिश करने वाले हैं।
पीएम पद पर नायडू-माया की भी निगाहें
दरअसल, कांग्रेस के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद ने हाल ही में कहा था कि बीजेपी को सत्ता से बाहर रखना ज्यादा जरूरी है। इसलिए अगर पार्टी को पीएम पद नहीं भी मिलता है, तो उसे कोई समस्या नहीं होगी। हालांकि, इसके बाद आजाद अपने बयान से पलट गए थे लेकिन अटकलें लगनी शुरू हो गईं। कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी केंद्र में कर्नाटक मॉडल पर सरकार बनाने का विचार कर रही है। चंद्रबाबू नायडू और मायावती खुद को पीएम पद के दावेदारों के रूप में देखते हैं। अगर एनडीए को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता तो कांग्रेस ज्यादा सीटें मिलने के बाद भी सरकार बनाने के लिए क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं को पीएम पद पर काबिज होने का मौका दे सकती है।
कर्नाटक में यूं बनी थी सरकार
बता दें कि कर्नाटक में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी रही थी जबकि कांग्रेस दूसरे और जेडीएस (जनता दल सेक्युलर) तीसरे स्थान पर थी। हालांकि, कांग्रेस और जेडीएस ने चुनाव के बाद गठबंधन कर लिया और कांग्रेस ने ज्यादा सीटें होने के बावजूद जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार किया। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की ओर से मिल रहे संकेतों के आधार पर यह माना जा रहा है कि ऐसा ही 23 मई को नतीजे आने के बाद करने का विचार हो सकता है।
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