पटना साहिब और पाटलीपुत्रा में स्वजातिय से टक्कर ने मामला बनाया दिलचस्प
>> उम्मीदवार टटोल रहे मन लेकिन मतदाता है मौन , बिचौलियों का बहार
रवीश कुमार मणि
पटना ( अ सं ) । हथियारों के बल पर बूथ कैपचरिंग की गुंजाइश वर्तमान समय में सम्भव नहीं हैं लेकिन नोटों की लोभ, लालच देकर अपने पक्ष में वोट करने का दौर चल पड़ा हैं । सातवें चरण यानी लोकसभा के आखिरी चरण के चुनाव का मतदान ही देश का प्रधानमंत्री तय करेगा ।इसके लिए सभी पार्टियों ने कमर कस दिया हैं । जातिय, क्षेत्रिय, राष्ट्रीय का हवाला के बाद भी मतदाताओं का मौन स्वीकृति उम्मीदवारों में बेचैनी बढ़ा दिया हैं ।बस एक सहारा के तौर पर लक्ष्मी ( नोटों ) को ही भाग्य मान रहे हैं और इसके बदौलत विधाता बनने का दम भर रहे हैं /ठान लिये हैं । जीत सुनिश्चित के लिए मतदाताओं के बीच आज नोटों की बरसात होने वाली हैं वहीं उम्मीदवारों के लिए कयामत की रात होगी ।
देश का दूसरा बड़ा राज्य बिहार की राजधानी जिले पटना में पटना साहिब और पाटलीपुत्रा लोकसभा सीट भाजपा और कांग्रेस गठबंधन के लिए नाक बन गयी हैं । अपने -अपने उम्मीदवार का जीत दर्ज कराने के लिए नरेन्द्र मोदी और राहुल गांधी को चुनाव प्रचार करना पड़ा ।दोनों केन्द्रीय मंत्री की प्रतिष्ठा दाव पर हैं । पटना साहिब से भाजपा उम्मीदवार रवि शंकर प्रसाद हैं तो कांग्रेस से शत्रुध्न सिन्हा । दोनों ही स्वजातिय ,कायस्थ (लाला) जाति के हैं । रवि शंकर प्रसाद के लिए यह पहली आम चुनाव हैं तो शत्रुध्न सिन्हा वर्तमान में सांसद हैं और लगातार आम चुनाव के हिस्सा रहे हैं ।
कायस्थ बहुल क्षेत्र पटना साहिब में निर्णायक वोट अतिपिछड़ा का होगा । रविशंकर के पक्ष में अधिकांश कायस्थ वोटर हैं । विधायक अरूण कुमार ,नितिन नवीन सारथी बने हुये हैं । भूमिहार और ब्राह्मणों का वोट रविशंकर प्रसाद के पक्ष में ही जाता दिखाई दे रहा हैं । वैश्य कारोबारियों की गोलबंदी भी भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में हैं । बिहार सरकार के मंत्री नंद किशोर यादव का यादव मतदाताओं पर पकड़ नहीं के समान हैं ।इसलिए यादव जाति का एकपक्षीय वोट शत्रुध्न सिन्हा को मिलता दिख रहा हैं । शत्रुध्न सिन्हा अगर 20 -25 प्रतिशत वोट अपने जाति कायस्थ का अपने पक्ष में लेने में कामयाब रहते हैं तो रवीशंकर प्रसाद के लिए मंजिल दूर हो जाएगी । जीत का अंतर महज 8-10 प्रतिशत का होगा ।
पाटलीपुत्रा लोकसभा सीट की बात करें तो यहां भी स्थिति पटना साहिब जैसा ही हैं । यादव बहुल इस क्षेत्र से दोनों ही उम्मीदवार यादव जाति से हैं । भाजपा के उम्मीदवार केन्द्रीय मंत्री रामकृपाल यादव हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस समर्थित राजद उम्मीदवार के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री लालू-राबड़ी की बड़ी बेटी डा मीसा भारती हैं ।यादव जाति पर एकक्षत्र राज करने वाले लालू प्रसाद एंड फैमिली के लिए पाटलीपुत्रा शुभ नहीं रहा हैं । लालू प्रसाद के नीचे राजनीति रूप से पले-बढ़े रंजन यादव ने लालू प्रसाद यादव को हराया था तो रामकृपाल यादव ने मीसा भारती को शिकस्त दिया था। इस बार भी देखें तो सीधे तौर पर रामकृपाल यादव और मीसा भारती के बीच कांटे की टक्कर हैं । जीत का अंतर समान होगा ।
भाजपा उम्मीदवार रामकृपाल यादव को भूमिहारों के वोट पर नाज हैं ,अधिकांश वोट पाले में जाएगा भी लेकिन भूमिहार जाति के चार उम्मीदवार राजेश कुमार ,रमेश शर्मा ,पुपुल शर्मा खेल बिगाड़ने के लिए मैदान में डटे हैं । रामकृपाल यादव के लिए पालीगंज के डा अशोक वर्मा वरदान साबित हो सकते हैं ।कुशवाहा जाति पर अशोक वर्मा का पकड़ मजबूत हैं ।भाजपा में शामिल होने के बाद अशोक वर्मा ,भाजपा उम्मीदवार को जीताने के लिए सक्रियता से जुटे हैं । रालोसपा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ,कुशवाहा वोट को महागठबंधन के पाले में डालने में नाकाम साबित हो रहे हैं ,हालाँकि नौबतपुर का शैलेश महतो ,राजद उम्मीदवार के लिए मेहनत कर रहे हैं । अतिपिछड़ा जाति और पासवान जाति का वोट भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में गिरता है तो ही नैया पार लगेगी । रामकृपाल यादव का बेटा अभिमन्यु ,यादव के गोलबंद चक्रव्यूह को तोड़ने में जुटा हुआ हैं ,देखना होगा की कितना कामयाब होता है या मेहनत व्यर्थ जाता हैं ।
राजद तीसरे उड़ान में तीतर पकड़ने के लिए पुरी दमखम लगा चुकी हैं । यादव और मुस्लिम वोट की गोलबंदी, मीसा भारती के लिए बड़ी ताकत हैं लेकिन यह ताकत पहले भी साथ रहा था लेकिन कामयाबी नहीं मिली थीं । मांझी ,रवीदास का वोट भी मीसा के पाले में जाता दिख रहा हैं । अतिपिछड़ा जाति का भी 30-40 एवं पासवान का भी 25 -30 प्रतिशत वोट राजद के पक्ष जाने की सम्भावना हैं । पूर्व केन्द्रीय मंत्री अखिलेश सिंह ,बाहुबली विधायक अनंत सिंह एवं बिक्रम विधानसभा के स्थानीय कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ सिंह का असर रहा और 10 -15 हजार भूमिहारों का वोट पाने में राजद सफल रहा तो मीसा भारती ,तीसरे उड़ान में तीतर पकड़ लेगी ।
चुनाव में परिणाम अपने -अपने उम्मीदवार के पक्ष में आएं ,इसके लिए बिचौलियों का बहार हैं । बिचौलिये लोग सक्रियता से वोट को खरीद -फरोस्त में जुट गये हैं । वोट और बूथ मैनेज के नाम पर गुप्त रूप से नोटों की बरसात किये जा रहा हैं । मैनेज के नाम पर बिचौलियों की बहार हैं ,अपने उम्मीदवार को लाखों वोट से जीतने का झूठा ख्वाब दिखा रहे हैं । मतदाता दोनों पक्षों से टान रहे हैं और दोनों को ही वोट देने को कहं रहे हैं ।जिन्हे राजनेता से कोई मतलब नहीं वहं संपर्क करने वाले को सुना रहे है नोट फ़ॉर वोट । गुप्त मतदान हैं ,किसे पता कौन, किसको देगा ।आख़िरी वक़्त में लक्ष्मी जी पर ही भरोसा ,आकर टिक गयी हैं । जीत के लिए इसे ज़रूरत समझ रहे है ।वहीं उम्मीदवारों के लिए शनिवार की रात कयामत की रात से कम नहीं हैं ।
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