एक प्रचलित लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक संत अपने शिष्य के साथ भिक्षा मांगते-मांगते एक घर के बाहर पहुंचे। उन्होंने भिक्षा देने के लिए आवाज लगाई तो अंदर से एक छोटी बच्ची बाहर आई और बोली कि बाबा, हम बहुत गरीब हैं, हमारे पास देने को कुछ नहीं है। आप आगे जाएं। इसके बाद संत ने कहा कि बेटी, मना मत कर, कुछ नहीं है तो अपने आंगन की थोड़ी सी मिट्टी ही दे दे।
> छोटी बच्ची ने तुरंत ही आंगन से एक मुट्ठी मिट्टी उठाई और भिक्षा पात्र में डाल दी। संत ने बच्ची को आशीर्वाद दिया और आगे बढ़ गए। कुछ दूर चलने के बाद शिष्य ने संत से पूछा कि गुरुजी मिट्टी भी कोई लेने की चीज है? आपने भिक्षा में मिट्टी क्यों ली?
> संत ने शिष्य को जवाब दिया कि आज वह बच्ची छोटी है और अगर वह मना करना सीख जाएगी तो बड़ी होकर भी किसी को दान नहीं देगी। आज उसने दान में थोड़ी सी मिट्टी दी है, इससे उसके मन में दान देने की भावना जागेगी। जब कल वह बड़ी होकर सामर्थ्यवान बनेगी तो फल-फूल और धन भी दान में देगी।
कथा की सीख
इस छोटी सी कथा की सीख यही है कि बच्चों को बचपन से ही अच्छे काम करना सिखाना चाहिए। अगर बचपन से उन्हें अच्छे कामों के लिए प्रेरित करेंगे तो वे बड़े होकर अच्छे इंसान बनेंगे और बुराइयों से बचे रहेंगे। हम जब भी दान करें तो छोटे बच्चों से ही दान करवाना चाहिए, इससे वे दूसरों की मदद करना सिखेंगे।
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Monday, 8 July 2019
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tarunmitra
इस तरह अपने बच्चों को प्रारंभ से ही सिखाएं अच्छी बातें, तभी बड़े होकर वे संस्कारी बनेगें
इस तरह अपने बच्चों को प्रारंभ से ही सिखाएं अच्छी बातें, तभी बड़े होकर वे संस्कारी बनेगें
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