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Friday, 5 July 2019

‘न्यू इंडिया’ बजट से गायब हुआ मीडिल क्लास!

-किसान व महिलाओं पर ध्यान, अमीरों से अधिक टैक्स वसूली
-ई-वाहनों पर जीएसटी कम, पेट्रोल-डीजल के बढ़ेंगे दाम
-अध्ययन योजना का बखान, आयुष्मान का जिक्र तक नहीं
-स्टार्ट अप पर जोर, रोजगार बढ़ाने की कोई चर्चा नहीं
रवि गुप्ता
लखनऊ, 05 जुलाई (तरुणमित्र)। मोदी सरकार पार्ट-टू यानि 2.0 ने अपने बजट को न्यू इंडिया को समर्पित करते हुए शुक्रवार को इसे सदन में पेश किया। देश की पहली पूर्ण कालिक वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने पहले बजट में खेत-खेलिहान, गांव-किसान पर तो ध्यान दिया मगर मीडिल क्लास की आस को इस बजट से काफी झटका लगा है। टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया जिसको लेकर मध्यम वर्गीय लोगों को काफी उम्मीदें थीं। हालांकि अमीर श्रेणी के लोगों पर टैक्स का भार बढ़ाकर आम बजट को संतुलित करने की कोशिश की गई है। वहीं महिला वित्त मंत्री होने का पूरा लाभ महिलाओं को बजट में मिला है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के इस पहले आम बजट में नई शिक्षा नीति लाने के साथ ही इसके लिए 400 करोड़ का प्रावधान किये जाने की बात कही गई है। विदेशी छात्र-छात्राओं को भारत में पठन-पाठन के प्रति आकर्षित करने के मद्देनजर ‘अध्ययन’ नामक योजना की घोषणा की गई है, जबकि मोदी सरकार के पार्ट फर्स्ट के कार्यकाल में हेल्थ सेक्टर को संजीवनी देने वाले ‘आयुष्मान’स्कीम का जिक्र तक नहीं किया गया। बजट में भले ही ई-वाहनों पर जीएसटी से 12 फीसद से घटाकर पांच फीसद कर दिया गया, लेकिन दूसरी तरफ पेट्रोल व डीजल पर एक-एक रुपये का अतिरिक्त सेस लगाकर देश की बहुसंख्यक आबादी के जेब पर दोहरा वार करने में कोई कंजूसी नहीं बरती गई। वहीं सोने पर 10 फीसद से टैक्स बढ़ाकर 12.5 फीसद कर दिया गया, ऐसे में मोदी सरकार संभवत: टैक्स की इस रणनीति पर चल रही है कि जनता-जनार्दन की मूल आवश्यकताओं से जुड़ी चीजों को उनकी पहुंच से बहुत दूर न करते हुए…आरामतलब और गैर जरूरी महंगी चीजों पर टैक्स बढ़ाया जाये जिससे एक संतुलन की स्थिति बनी रहेगी। फिलहाल बजट में युवा और रोजगार जैसे अति आवश्यक मुद्दों पर गौर करें तो स्टार्ट अप के जरिये बैंक से फटाफट लोन दिये जाने पर तो जोर दिया गया है, मगर इसकी चर्चा कहीं भी नहीं है कि कैसे और किस प्रकार युवाओं की संख्या के मुताबिक रोजगार की संभावनाओं को बढ़ाया जाये।

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