हिन्दुस्तान की लगभग 50 प्रतिशत से भी अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है | लेकिन ताज्जुब की बात ये है की पुरे देश का पेट भरने वाला किसान कभी भी सुखी नहीं रहता है | उसे जीवन भर आर्थिक संकटो से जूझना पड़ता है | हर किसान सोचता है की उसका जीवन इसी मिटटी के लिए बना है और इसी मिटटी में उसे दफ़न हो जाना है | वह जीवन में ऊँचे सपने तो देखता है लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति की वजह से कभी वह उन्हें पूरा नहीं कर पाता है | लेकिन एक किसान की बेटी ने ऐसा मुकाम पाया है जिसकी वजह से वह लोगो की प्रेरणा का स्रोत बन गयी है |
ये कहानी है रीवा जिले की खुजहा गांव की | यहाँ एक किसान काफी गरीब था | उसका नाम लोकनाथ पटेल था | लेकिन उसने अपनी आर्थिक स्थिति को अपने बच्चो के करियर के सामने कभी भी रोड़ा बनने नहीं दिया | लोकनाथ ने दुःख सहे, लोगो के ताने सहे लेकिन किसी प्रकार अपनी बेटी को जज बनाकर ही दम लिया |
लोकनाथ के चार बच्चे है जिसमे स्मृता उसकी दूसरे नम्बर की लड़की है | वह अपने पिता की मेहनत और लगन के दम पर आज जज बन गयी है | लोकनाथ ने बचपन से ही अपने सभी बच्चो को इंग्लिश मीडियम में पढ़ाया | लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक ना होने की वजह से उन्होंने एजीएस स्कूल में बच्चो का एडमिशन करवा दिया |
लेकिन अपनी आर्थिक स्थित ठीक ना होने की वजह से लोकनाथ ने घर छोड़ दिया और अपने बच्चो का एडमीशन हिंदी मीडियम स्कूल में करवा दिया | जब भी कभी अपने बच्चो के साथ लोकनाथ घर से बाहर निकलते थे तो अपने बच्चो को दूसरे बंगले दिखाकर कहा करते थे ये बंगले खरीदना हमारी औकात नहीं है | क्योंकि हम बहुत ही गरीब है |
जीवन में अनेक समस्याएं आई लेकिन कभी भी लोकनाथ ने उनसे हार नहीं मानी | उसने एक बेटे को तो इंजीनियर बनवाया | जबकि स्मृता को जज बना दिया | बतौर जज के रूप में नियुक्त स्मृता का मानना है की जीवन में कुछ करने के लिए एक लक्ष्य होना बहुत ही जरुरी होता है | ये हमारी इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है की हम कितने संवेदनशील है | स्मृता ने अपने पिता का नाम तो रोशन किया ही है | लेकिन इसके अलावा उसने अपने गांव का नाम भी रोशन किया है |
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