योगी सरकार के बाद अब उत्तराखंड सरकार भी भ्रष्ट अधिकारियों पर कसेगी नकेल | Alienture हिन्दी

Breaking

Post Top Ad

X

Post Top Ad

Recommended Post Slide Out For Blogger

Thursday, 4 July 2019

योगी सरकार के बाद अब उत्तराखंड सरकार भी भ्रष्ट अधिकारियों पर कसेगी नकेल

उत्तर प्रदेश की तर्ज पर अब उत्तराखंड सरकार भी भ्रष्ट और नाकारा अफसरों को समय पूर्व अनिवार्य सेवानिवृत्ति प्रदान करने जैसा सख्त कदम उठाने की रणनीति तैयार कर रही है। इसके लिए विभागों से सूची बनाने को कहा गया है।

प्राशासनिक सूत्रों के मुताबिक, पहले चरण में इस सूची में 50 वर्ष की आयु पार कर चुके अधिकारियों को शामिल करने को कहा गया है। शासन के बाद विभिन्न महकमों में भी ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों का चिन्हित किया जाएगा। सरकार की कार्यशैली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की केंद्र सरकार की पहल का अब राज्य भी अनुसरण करने लगे हैं।

इसके बाद अगले चरण में विभिन्न विभागों के भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, उत्तराखंड के संदर्भ में सरकार के लिए इस मुहिम को आगे बढ़ाना आसान साबित होने वाला नहीं है, क्योंकि यहां पहले से ही अधिकारियों की काफी कमी है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्य सचिव को भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ सूची बनाने को कह चुके हैं। मुख्य सचिव की ओर से भी कार्मिक विभाग को विभागवार ऐसे सभी अधिकारी कर्मचारियों को चिन्हित करने को कहा गया है। उत्तराखंड में करीब साढ़े तीन लाख से अधिक अधिकारी राज्य कर्मचारी हैं। इनमें से खराब ट्रैक रिकार्ड और अक्षम कार्मिकों को चिन्हित करना बहुत ही मुश्किल काम होगा। साथ ही कर्मचारी संगठनों को भी इसके लिए तैयार करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है।

सूत्रों के मुताबिक, ऐसे अधिकारियों को चिन्हित किया जा रहा है। भ्रष्टाचार के अलावा जिन अधिकारियों की कार्यशैली अप्रभावी है और जिनका पिछला रिकॉर्ड इस लिहाज से संतोषजनक नहीं है, उन्हें सूचीबद्ध किया जाएगा। कार्मिक मंत्रालय ने इसके लिए सभी सरकारी विभागों के सचिवों को पत्र लिख अधिकारियों-कर्मचारियों के कामकाज के आकलन को कहा है।

सूत्रों का यह भी कहना है कि शासन के बाद विभिन्न महकमों के ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों को सूचीबद्ध किया जाएगा, जिन्हें कार्य के प्रति लापरवाह, नाकारा माना जाता है और जिन पर भ्रष्टाचार के मामले हैं या रहे हैं।

बीते दिनों उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था, “सत्ता संभालने के पहले ही दिन से हमने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति का पालन किया है। तमाम अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के मामलों में की गई कार्यवाही इसका प्रमाण है। अब उत्तराखंड में भी केंद्र सरकार की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए भ्रष्ट और नाकारा अधिकारियों व कर्मचारियों पर नकेल डाली जाएगी।”

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट ने आईएएनएस से कहा, “उत्तराखंड सख्त शासन और स्वच्छ प्रशासन के बल पर चल रहा है। हम लोग जीरो टॉलरेंस को लेकर चलने वाले हैं। यहां पर भ्रष्टाचार की कोई जगह नहीं है।

उन्होंने कहा, “हमारी सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है। इसलिए हर काम पारदर्शी ही होगा। भ्रष्ट और नाकारा लोगों की यहां जरूरत नहीं है। इसलिए सरकार ऐसा निर्णय लेगी जिसमें जनता का हित हो।”

अपर सचिव डॉ़ मेहरबान सिंह बिष्ट ने कहा, “अधिकारियों को सेवानिवृत्त किए जाने वाले मुख्यमंत्री के बयान की चर्चा बहुत है। शायद उन्होंने एक साक्षात्कार में भी यह बात कही है। लेकिन अभी पूरा मामला क्या है, इस पर जानकारी लेने के बाद ही कुछ कह पाऊंगा।”

उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी ने कहा, “सरकार के ऐसे प्रयोगों से जनता का क्या भला होगा? सरकार को चाहिए कि भ्रष्टचार की जड़ों में जाकर उसे समाप्त करे। इसके लिए सरकार और मुखिया का ईमानदार होना बहुत जरूरी है, तभी कुछ भला हो सकता है।”

उन्होंने कहा कि सरकार चंद कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाकर व्यवस्था में फैले भ्रष्टाचार को कैसे दूर कर पाएगी। जो भी पैमाना बना लीजिए, लेकिन बिना मजबूत इच्छाशक्ति के कुछ होने वाला नहीं है। यहां पर तो जनता के प्रतिनिधि खुद अधिकारी से अपने पक्ष में ठेके पट्टों के काम कराते हैं। तो फिर वह उन्हें कैसे बाहर करेंगे।

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad