यह भारतीय योग परपंरा की नई गाथा है. चीनी शोध संस्थान ‘हुरून’ ने भारत में 2017 के अमीरों की सूची जारी की है.
इस सूची में पतंजलि के सीईओ आचार्य बालकृष्ण भारत के आठवें सबसे अमीर आदमी हैं. पिछले साल इस लिस्ट में बालकृष्ण 25वें नंबर पर थे.
इस साल उनकी संपत्ति में 173 फ़ीसदी बढ़कर 70 हज़ार करोड़ पहुंच गई.
हुरुन का कहना है कि बालकृष्ण की संपत्ति बढ़ने में नोटबंदी और जीएसटी से मदद मिली है. संस्थान के मुताबिक़ नोटबंदी का संगठित क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.
रैंक नाम कुल संपत्ति संपत्ति में गिरावट/बढ़ोत्तरी
पहला मुकेश अंबानी 257,900 58 फ़ीसदी
दूसरा दिलीप सांघवी 89, 000 -27 फ़ीसदी
तीसरा एलएन मित्तल 88, 200 32 फ़ीसदी
चौथा शिव नादर 85, 100 16 फ़ीसदी
पांचवां अज़िम प्रेमजी 79, 300 6 फ़ीसदी
छठा साइरस एस पूनावाला 71,100 -9 फ़ीसदी
सातवां गौतम अडाणी 70, 600 66 फ़ीसदी
आठवां आचार्य बालकृष्ण 70, 000 173 फ़ीसदी
नौवां उदय कोटक 62, 700 21 फ़ीसदी
दसवां सुनील मित्तल 56, 500 12 फ़ीसदी
तगड़ी चुनौती
44 साल के बालकृष्ण मार्च के दौरान ‘फोर्ब्स’ पत्रिका में दुनिया भर के अरबपतियों की सूची में 814वें नंबर पर थे.
बालकृष्ण तब दुनिया भर के 2,043 अमीरों में से 814वें नंबर पर थे.
पिछले साल बालकृष्ण ‘फोर्ब्स’ की वार्षिक लिस्ट में भारत के 100 अमीरों में 2.5 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ 48वें नंबर पर थे.
पिछले वित्तीय वर्ष में पतंजलि का टर्नओवर 10,561 करोड़ रुपये था. पतंजलि वैश्विक कंपनियों को तगड़ी चुनौती दे रही है.
पतंजलि फ़ास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफ़एमसीजी) कंपनी के मामले में हिन्दुस्तान यूनिलीवर के बाद दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है.
इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक़ पिछले वित्तीय वर्ष में हिन्दुस्तान यूनिलीवर का टर्नओवर 30,783 करोड़ रुपये था.
पतंजलि का कहना है कि आने वाले वक़्त में जल्द ही वो हिन्दुस्तान यूनिलीवर को पीछे छोड़ देगी.
वैसे बालकृष्ण का अरबपति बनना रातों-रात नहीं हुआ है.
अरबपतियों की छवि जो लोगों मन में बनी हुई है उस आधार पर देखें तो बालकृष्ण कहीं से भी अरबपति नहीं दिखते हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ पतंजलि आयुर्वेद में 94 फ़ीसदी हिस्सा बालकृष्ण का है लेकिन वो कोई तनख्वाह नहीं लेते हैं.
‘पतंजलि आयुर्वेद’
बालकृष्ण का जन्म नेपाल में हुआ था और उन्होंने हरियाणा के एक गुरुकुल में योग गुरु रामदेव के साथ पढ़ाई की थी.
1995 में दोनों ने मिलकर ‘दिव्य फार्मेसी’ की स्थापना की थी. 2006 में इन्होंने ‘पतंजलि आयुर्वेद’ की स्थापना की.
बालकृष्ण के नाम केवल शोहरत ही नहीं है. 2011 में सीबीआई ने इनके ख़िलाफ़ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था. हालांकि बाद में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई.
आज की तारीख़ में पतंजलि शैंपू से लेकर अनाज और साबुन से लेकर नूडल्स तक, हर चीज़ बेचती है.
आचार्य बालकृष्ण एक आम सी ज़िंदगी जीते हैं और पतंजलि आयुर्वेद के रोज़मर्रा का कामकाज उन्हीं के ज़िम्मे है.
रामदेव और बालकृष्ण की जोड़ी
हरिद्वार के अपने दफ्तर में एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा था कि कंपनी की संपत्ति उनकी निजी नहीं है, बल्कि उस ब्रैंड की है जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सेवा प्रदान करता है.
रामदेव इस कंपनी में निजी हैसियत से कोई मालिकाना हक़ नहीं रखते लेकिन हाई-प्रोफ़ाइल योग गुरु, पतंजलि आयुर्वेद का चेहरा वही हैं.
कंपनी के ब्रैंड एंबेसडर के तौर पर रामदेव इसके उत्पादों का प्रमोशन और विज्ञापन करते हैं.
बालकृष्ण का कहना है कि अरबपतियों की सूची में उनका नाम आना, पतंजलि में भारतीय उपभोक्ताओं के बढ़ते भरोसे का सबूत है, जो बाज़ार में क़रीब साढ़े तीन सौ उत्पाद बेचती है.
उन्होंने कहा था, “कंपनी की संपत्ति किसी की निजी संपत्ति नहीं है. ये समाज और समाज सेवा के लिए है.”
पतंजलि क्लीनिक
आचार्य बालकृष्ण पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के महासचिव भी हैं, जो क़रीब 5,000 पतंजलि क्लीनिक की देखभाल करती है और एक लाख से ज्यादा योग कक्षाओं का संचालन करती है.
बालकृष्ण पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति भी हैं, जिसकी योजना जड़ी-बूटी पर आधारित दवाओं की शिक्षा का विस्तार करने की है.
वो पतंजलि योगपीठ के मुख्यालय की मुख्य इमारत में बने अस्पताल की पहली मंज़िल पर स्थित साधारण से दफ्तर से काम करते हैं.
उनके दफ्तर का वातावरण बाबा रामदेव की तस्वीरों, एक बौद्ध पेंटिंग, कुछ किताबों और स्मारिकाओं की वजह से आध्यात्मिक-सा लगता है.
आचार्य बालकृष्ण के दफ्तर में कोई कंप्यूटर या लैपटॉप नहीं है और उनका कहना है कि उनके पास भी ये चीज़ें नहीं हैं.
नेपाल में बचपन बीता
अरबपति बालकृष्ण ने बताया था कि उनके सहयोगी उनके लिए कंप्यूटर का ज़रूरी काम करते हैं और संवाद के लिए वो एक आईफ़ोन इस्तेमाल करते हैं.
इस इंटरव्यू में बालकृष्ण ने ये भी बताया था कि उन्होंने अपने काम से एक दिन के लिए भी छुट्टी नहीं ली है.
बालकृष्ण ने कहा था, “मेरी अपने लिए कोई योजना नहीं है इसीलिए अगर मैं छुट्टी लूं भी तो क्या करूंगा. मैं हर दिन सुबह से देर शाम तक काम करता हूं और अपनी ऊर्जा और समय का शत-प्रतिशत अपने काम को देता हूं.”
आचार्य बालकृष्ण ने अपना बचपन पश्चिमी नेपाल के सियांग्जा ज़िले में बिताया, जहां उन्होंने कक्षा पांच तक पढ़ाई की.
बालकृष्ण के ख़िलाफ़ केस
बालकृष्ण ने बताया कि वो भारत के हरिद्वार में पैदा हुए, जब उनके पिता वहां एक चौकीदार के रूप में काम करते थे.
उनके माता-पिता अभी भी नेपाल के पुश्तैनी घर में रहते हैं.
भारत लौटने के बाद हरियाणा में खानपुर के एक गुरुकुल में पढ़ाई करने के दौरान वे 1988 में बाबा रामदेव के मित्र बन गए. उसके बाद से दोनों साथ काम कर रहे हैं.
जून 2011 में सीबीआई ने बालकृष्ण के ख़िलाफ़ एक मामला दर्ज किया.
उन पर आरोप लगा कि उनकी ज़्यादातर डिग्री और काग़ज़ात जाली हैं, जिसमें उनका पासपोर्ट भी शामिल था.
उन्होंने इन आरोपों का खंडन किया और कहा कि उन्होंने कुछ भी ग़लत नहीं किया.
सीबीआई जांच
बालाकृष्ण ने दावा किया था कि उनके ख़िलाफ़ लगाए गए आरोप यूपीए सरकार का एक ‘योजनाबद्ध षड्यंत्र’ था.
उनका कहना है कि उनके पास वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से मिला प्रमाण-पत्र है. काग़ज़ातों को संभालकर रखने और ज़रूरत पड़ने पर उन्हें पेश करने की ज़िम्मेदारी विश्वविद्यालय की है.
साल 2012 में जब सीबीआई ने धोखाधड़ी के एक मामले उन्हें तलब किया तो बालकृष्ण कथित रूप से फ़रार हो गए.
उसके बाद उनके ख़िलाफ़ ग़ैर-क़ानूनी रूप से पैसे के कथित हेरफेर का मामला दर्ज किया गया.
बीजेपी सरकार
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ साल 2014 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद उनके ख़िलाफ़ दर्ज़ मामले बंद कर दिए गए.
उनके आलोचक भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वदेशी को बढ़ावा देने और स्थानीय ब्रैंड के बीच एक लिंक देखते हैं.
लेकिन आचार्य बालकृष्ण कहते हैं कि पतंजलि के विकास और बीजेपी सरकार के बीच कोई संबंध नहीं है.
वो कहते हैं कि कंपनी की तरक़्क़ी दरअसल दो दशक के कठिन परिश्रम का परिणाम है.
पतंजलि की वेबसाइट पर आचार्य बालकृष्ण का परिचय आयुर्वेद, संस्कृत भाषा और वेद के महान ज्ञाता के रूप में है, जिन्होंने जड़ी-बूटियों पर कई किताबें और शोध-पत्र लिखे हैं.
पतंजलि योगपीठ
इंटरव्यू में बालकृष्ण ने पिछले साल बताया था कि पतंजलि ने क़रीब 100 वैज्ञानिकों को जड़ी-बूटियों के शोध के काम में लगा रखा है और ‘जड़ी-बूटियों का एक विश्वकोष’ तैयार करने का काम भी कर रही है.
उन्होंने ये भी बताया कि उन्होंने क़रीब 65,000 किस्म की जड़ी-बूटियों पर काम किया है और दावा करते हैं जड़ी-बूटियों के औषधीय गुण पर लिखी उनकी एक किताब की एक करोड़ प्रतियां बिक चुकी हैं.
उनका कहना है कि जड़ी-बूटियों के जिस विश्वकोश पर वो काम कर रहे हैं वो क़रीब डेढ़ लाख पन्नों की होगी.
आचार्य बालकृष्ण ने कहा, “मुझ पर मेरी मां का गहरा प्रभाव है और वो मेरी प्रेरणास्रोत भी हैं. जड़ी-बूटियों के मेरे ज्ञान का आधार मां के घरेलू नुस्खे हैं.”
पतंजलि योगपीठ में आचार्य बालकृष्ण का जन्मदिन जड़ी-बूटी दिवस के रूप में मनाया जाता है.
-BBC
The post यह भारतीय योग परपंरा की नई गाथा है appeared first on Legend News: Hindi News, News in Hindi , Hindi News Website,हिन्दी समाचार , Politics News - Bollywood News, Cover Story hindi headlines,entertainment news.
No comments:
Post a Comment