मकड़ी भी नहीं फँसती,
अपने बनाये जालों में।
जितना आदमी उलझा है,
अपने बुने ख़यालों में…।।
तुम निचे गिरके देखो…
कोई नहीं आएगा उठाने…!!!
तुम जरा उडक़र तो देखो…
सब आयेंगे गिराने……!!!
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