वॉशिंगटन। अमेरिका ने म्यांमार सरकार के अभियान के बाद उपजे रोहिंग्या संकट को लेकर चिंता जताई है। अमेरिका ने कहा है कि यह संकट अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादियों को एक मौका दे सकता है। अमेरिका ने चेताया है कि यह संकट पूरे दक्षिण एशिया में अस्थिरता की वजह बन सकता है। म्यांमार में सुरक्षाबलों पर हिंसा का आरोप लगाकर अबतक 8 लाख से अधिक रोहिंग्या पलायन कर चुके हैं।
ग्लोबल मीडिया ने इस संबंध में एक वरिष्ठ अमेरिकी दक्षिणपूर्वी एशिया के अधिकारी पैट्रिक मर्फी के हवाले से ये बातें कहीं हैं। मर्फी ने विदेशी मामलों की हाउस कमिटी के सामने कहा कि छह सप्ताह पहले म्यांमार के सुरक्षाबलों पर रोहिंग्या विद्रोहियों के हमले का जवाब गलत तरीके से देने का आरोप लगा। उन्होंने इसको जातीय हिंसा की बजाय ‘मानव त्रासदी’ की स्थिति बताया।
अमेरिकी सांसदों ने रोहिंग्या पर हिंसा की आलोचना करते हुए म्यांमा पर प्रतिबंध लगाने को कहा है। साथ ही म्यांमार के हिंसा प्रभावित क्षेत्र रखाइन में पत्रकारों और राहत कर्मियों के प्रवेश को सुनिश्चित करने को भी कहा है। विदेशी मामलों की कमेटी के चेयरमैन और रिपब्लिकन सांसद एड रॉयस ने कहा कि हमें इस पूरी तरह से ‘जातीय सफाई’ मान रहे हैं। एक दूसरे सांसद ने कहा कि अमेरिका को म्यांमार के मिलिटरी नेतृत्व पर प्रतिबंध लगाने के बारे में सोचना चाहिए।
अमेरिका ने रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए 32 मिलियन डॉलर की मदद का वादा किया है। इसमें से 28 मिलियन डॉलर की मदद बांग्लादेश को भेजी जाएगी, जहां करीब 5 लाख रोहिंग्या शरणार्थी हैं।
-एजेंसी
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