उसे शोहरत ने तनहा कर दिया है,
समंदर है.. मगर प्यासा बहुत है।
यूँ बार बार निहारती हो आईना,
ख़ूबसूरती पे गुमान है.. या शक।
हर्फ़ तीखे और लहज़ा अदब का,
वाह क्या हुनर है तुम में गजब का।
फटे दुपटटे से सर ढक लिया ग़रीबी ने,
हवा में उडता है आंचल अमीरज़ादी का।
सोंचता था.. मैं रह नहीं पाऊंगा तेरे बग़ैर,
देखो.. तुमने ये भी सिखा दिया मुझको।
किसी को घर से निकलते ही मिल गई,
मंज़िल.. कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा।
चल यारा मोहब्बत करने का हुनर सिखाता हूँ,
इश्क तुम शुरू करो.. निभाकर मैं दिखाता हूँ।
बहुत मुश्किल से करता हूँ, तेरी यादों का,
कारोबार.. मुनाफा कम है पर गुज़ारा हो ही जाता है।
हर सांस सज़्दा करती है, हर नज़र में इबादत होती है,
वो रूह आसमानी होती है, जिस दिल में मुहब्बत होती है।
मेरी धड़कन की आवाज़ सुननी हो तो, मेरे सीने पर अपना सर रख,
वादा है मेरा ज़िन्दगी भर तेरे कानों में, मेरी मोहब्बत गूंजेगी।
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