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Tuesday 7 November 2017

नोटबंदी का एक साल: सरकार और कांग्रेस आमने-सामने

नोटबंदी की सालगिरह से एक दिन पहले विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। गुजरात चुनाव प्रचार के लिए अहमदाबाद गए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को सरकार की सबसे बड़ी भूल बताते हुए दोहराया कि यह एक संगठित लूट थी। उन्होंने कहा, ‘मैंने जो संसद में कहा था, उसे दोहराता हूं। यह एक संगठित और वैधानिक लूट थी।’ पूर्व प्रधानमंत्री ने जीएसटी पर भी सरकार को घेरा।
दूसरी तरफ, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर एक ब्लॉग के जरिए सरकार के नोटबंदी के फैसले पर सवाल उठाने वालों को जवाब दिया। उन्होंने नोटबंदी के फैसले की घोषणा के दिन 8 नवंबर 2016 को भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास का ऐतिहासिक क्षण करार दिया।
गुजरात के चुनावी रण में कांग्रेस का प्रचार करने गए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को नोटबंदी से बीजेपी के घेराबंदी करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी देश की अर्थव्यवस्था के लिए पूरी तरह घातक साबित हुई। इस फैसले ने छोटे उद्यमों की कमर तोड़ दी।
मनमोहन ने कहा, ‘कल (8 नवंबर 2017 को) हम उस विनाशकारी नीति का एक साल पूरा कर रहे हैं जो हमारे देश की जनता पर थोपी गई थी। 8 नवंबर देश की अर्थव्यवस्था के लिए तो काला दिन था ही, यह लोकतंत्र के लिए भी एक काला दिन था।’
उन्होंने कहा कि नोटबंदी का कोई भी मकसद पूरा नहीं हो पाया है। पूर्व पीएम ने कहा, ‘कल (8 नवंबर 2017 को) हम इस विनाशकारी नीति का एक साल पूरा कर रहे हैं। यह दिन देश की अर्थव्यवस्था और लोकतंत्र के लिए एक काला दिन था।’ उन्होंने कहा कि टैक्स टेररिज्‍म के डर ने भारतीय कारोबारियों में निवेश को लेकर जमे भरोसे को खत्म कर दिया।
मनमोहन ने कहा कि एक साल में आयात 23 प्रतिशत बढ़कर 45,000 करोड़ रुपये से ऊपर चला गया। इसके लिए बड़े पैमाने पर नोटबंदी और जीएसटी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में एक भी देश ऐसा नहीं है जिसने ऐसा विनाशकारी कदम उठाया हो जिसमें 86 प्रतिशत करंसी का सफाया हो जाए।
मनमोहन के मुताबिक नगदी का प्रचलन कम करने के लिए नोटबंदी जैसे कदम का कोई असर नहीं होता। मनमोहन अपनी दो टर्म की सरकार की तारीफ करने से भी नहीं चूके।
उन्होंने कहा, ‘मैं गर्व से साथ कह सकता हूं कि हमने 14 करोड़ लोगों को गरीबी से उबारा।’ मनमोहन ने यह कहकर भी सरकार पर हमला बोला कि क्या बुलेट ट्रेन पर सवाल उठाने से कोई विकास विरोधी और GST-नोटबंदी पर सवाल उठाने से कोई टैक्स चोर हो जाता है।
इधर, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी के फैसले की घोषणा के दिन 8 नवंबर 2016 को भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास का ऐतिहासिक क्षण करार दिया। नोटबंदी के बचाव में लिखी एक फेसबुक पोस्ट में जेटली ने कहा कि यह दिन देश को ‘काले धन की भयावह बीमारी’ से बचाने के इस सरकार के संकल्प को दर्शाता है। वित्त मंत्री ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘हमारा देश जानता है कि किस तरह तत्कालीन सरकार ने इस (काले धन के) मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को भी वर्षों तक अनसुना कर दिया। काले धन के खिलाफ लड़ाई की अनिच्छा का एक और उदाहरण बेनामी प्रॉपर्टी ऐक्ट को लागू करने में 28 वर्षों की देरी है।’
उन्होंने कहा कि जब देश ‘ऐंटी-ब्लैक मनी डे’ का भागीदार बन रहा है, तब एक बहस छिड़ गई है कि क्या नोटबंदी ने लक्षित उद्देश्य को पूरा किया है। इस बहस से नोटबंदी का लघु एवं मध्यम अवधि में सकारात्मक प्रभावों को तलाशना है। वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी के बड़े उद्देश्यों में एक भारत को कम नगदी वाली अर्थव्यवस्था (लेस कैस इकॉनमी) बनाकर सिस्टम में काले धन के प्रवाह को घटाना था। तब के मुकाबले अब सर्कुलेशन में कम करंसी रह जाने से स्पष्ट होता है कि यह उद्देश्य पूरा हो चुका है।
जेटली ने अपनी विस्तृत पोस्ट में नोटबंदी के बाद टैक्स का दायरा बढ़ने का भी हवाला दिया। उन्होंने लिखा कि आम लोगों के साथ-साथ संस्थानों पर भी शिकंजा कसा गया। वित्त मंत्री ने लिखा, ‘इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 1150 शेल कंपनियों के खिलाफ कार्यवाही की जिनका 22,000 बेनेफिशअरीज ने 13,300 करोड़ रुपये के काले धन को सफेद करने में किया।’
-एजेंसी

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