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Sunday 5 November 2017

दुनियाभर के अमीर और ताक़तवर लोगों के Tax Haven में निवेश का खुलासा

बड़ी तादाद में लीक हुए वित्तीय दस्तावेज़ों से दुनियाभर के अमीर और ताक़तवर लोगों के गुप्त तरीक़ों से Tax Haven देशों में बड़े निवेश करने का पता चला है. ब्रिटेन की महारानी की निजी जागीर भी इन निवेशकों में शामिल है.
डोनल्ड ट्रंप के वाणिज्य मंत्री के ऐसी कंपनी में हितों का पता चला है जो रूस के साथ व्यापार करती है और जिस पर अमरीका ने प्रतिबंध लगाए हैं.
इस लीक को पेराडाइज़ पेपर्स कहा जा रहा है. इसमें 1.34 करोड़ दस्तावेज़ लीक हुए हैं. इनमें से अधिकतर दस्तावेज़ विदेशी निवेश देखने वाली एक कंपनी के हैं.
दुनियाभर के क़रीब सौ मीडिया संस्थान इन दस्तावेज़ों की जांच कर रहे हैं. बीबीसी पैनोरमा भी उनमें शामिल है.
पिछले साल के पनामा पेपर्स की ही तरह ये दस्तावेज़ जर्मन अख़बार ज़्यूड डॉयचे त्साइटुंग ने हासिल किए थे. दस्तावेज़ों की जांच इंटरनेशनल कंसोर्शियम ऑफ़ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) ने की है.
इस पूरे सप्ताह सैकड़ों लोगों और कंपनियों की कर और वित्तीय जानकारियां साझा की जाएंगी. इनमें से कई के ब्रिटेन से गहरे संबंध हैं. रविवार को सामने आई बात का यह बहुत छोटा हिस्सा है.
कई कहानियां इस बात पर केंद्रित हैं कि कैसे राजनेताओं, बहुराष्ट्रीय कंपनियों, सेलेब्रिटी और हाई प्रोफ़ाइल लोगों ने ट्रस्ट, फाउंडेशन, काग़ज़ी कंपनियों के ज़रिए कर अधिकारियों से अपने कैश और सौदों को छुपाए रखा.
रविवार को ये प्रमुख कहानियां जारी की गईं
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो के क़रीबी सहयोगी ऐसी विदेशी स्कीम से जुड़े हैं, जिससे देश को करोड़ों डॉलर का नुक़सान पहुंचा हो सकता है. Tax Haven देशों को बंद करने के लिए अभियान चलाने वाले ट्रुडो के लिए इससे हालात शर्मनाक हो सकते हैं.
कंज़र्वेटिव पार्टी के पूर्व डिप्टी चेयरमैन और बड़े दानदाता लॉर्ड एश्क्रॉफ्ट ने अपने विदेशी निवेश के प्रबंधन में नियमों की अनदेखी की हो सकती है. अन्य दस्तावेज़ों से पता चलता है कि उन्होंने हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में अपना नॉन-डोम (ग़ैर रिहायशी) दर्ज़ा बरकरार रखा जबकि ऐसी रिपोर्टें आईं थी कि वो ब्रिटेन के स्थायी नागरिक बन गए हैं.
इवर्टन एफ़सी की एक मुख्य़ शेयरधारक कंपनी की फंडिंग पर किस तरह सवाल उठते हैं.
इन दस्तावेज़ों से ये भी संकेत मिला है कि किस तरह से एलिशर उस्मानोव ने अपनी फ़र्म की जांच को प्रभावित किया है.
इन दस्तावेज़ों को जारी करने वाले अन्य मीडिया संस्थान अपने क्षेत्र के हिसाब से कहानियां प्रकाशित कर रहे हैं.
महारानी किस तरह शामिल हैं?
द पैराडाइज़ पेपर्स से पता चलता है कि ब्रितानी महारानी के निजी धन में से क़रीब एक करोड़ पाउंड विदेश में निवेश किए गए.
इन पैसों को डची ऑफ़ लेंकास्टर ने कैयमन आइलैंड्स और बरमुडा के फंड में निवेश किया था. ये महारानी को आय देते हैं और उनके क़रीब 50 करोड़ पाउंड की निजी जागीर के निवेशों को संभालते हैं.
इन निवेशों में कुछ भी ग़ैरक़ानूनी नहीं है और इसके कोई संकेत नहीं है कि महारानी कर नहीं चुका रही हैं लेकिन ये सवाल पूछा जा सकता है कि महारानी को विदेश में निवेश करना चाहिए या नहीं.
ग़रीबों का शोषण करने के आरोप झेलने वाले रीटेलर समूह ब्राइटहाउस में भी छोटे निवेश किए. ऑफ़-लाइसेंस फर्म थ्रेशर्स में भी निवेश किया गया.
इस कंपनी ने बाद में 1.75 करोड़ पाउंड की देनदारी के साथ अपना काम बंद कर दिया था जिससे 6 हज़ार लोगों की नौकरी चली गई थी.
डची का कहना है कि वह फंड के निवेश के बारे में लिए गए फ़ैसलों में शामिल नहीं थी. इस बात के भी कोई संकेत नहीं है कि अपने लिए किए गए इन निवेशों के बारे में महारानी को जानकारी थी.
अतीत में डची की ओर से कहा गया था कि, “इस बात का पूरा ख़्याल रखा जाता है कि उसके किसी कार्य या चूक से महारानी की प्रतिष्ठा पर नकारात्मक असर तो नहीं हो रहा है.” डची का ये भी कहना था कि महारानी अपनी जागीर में ख़ासी रुचि रखती हैं.
रॉस और ट्रंप के लिए शर्मिंदगी?
1990 के दशक में विल्बर रॉस ने डोनल्ड ट्रंप को दीवालिया होने से बचाया था और अब ट्रंप ने इसका इनाम उन्हें अपने प्रशासन में वाणिज्य मंत्री बना कर दिया है.
दस्तावेज़ों से पता चलता है कि रॉस ने एक जहाजरानी कंपनी में निवेश बरक़रार रखा जो रूस की एक ऊर्जा कंपनी के लिए गैस और तेल का परिवहन करके सालाना करोड़ों डॉलर कमाती है.
रूस की ऊर्जा फर्म में व्लादिमीर पुतिन के दामाद और अमरीका के प्रतिबंधों का सामना कर रहे दो लोगों का भी निवेश है.
इससे एक बार फिर डोनल्ड ट्रंप की टीम और रूस के बीच संबंधों को लेकर सवाल उठेंगे. राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल इन आरोपों के साये में है कि रूस ने बीते साल हुए अमरीकी राष्ट्रपति चुनावों के नतीजों को प्रभावित करने में भूमिका निभाई है.
ट्रंप ने इन आरोपों को ‘फ़ेक न्यूज़’ कहते रहे हैं.
कहां से आए हैं ये दस्तावेज़?
ज़्यादातर दस्तावेज़ ऐपलबी कंपनी के हैं. बरमुडा स्थित ये कंपनी क़ानूनी सेवाए देती है. ये अपने क्लाएंट्स को शून्य या बेहद कम कर वाले देशों में कंपनियां स्थापित करने में मदद करती है.
कंपनी के दस्तावेज़ और कैरीबियाई क्षेत्र के कार्पोरेट रजिस्टर के दस्तावेज़ जर्मन अख़बार ज़्यूड डॉयचे त्साइटुंग ने हासिल किए थे. अख़बार ने अपने सूत्र सार्वजनिक नहीं किए हैं.
दस्तावेज़ों की जांच करने वाले मीडिया संस्थानों का कहना है कि ये जांच जनहित में हैं क्योंकि Tax Haven देशों से लीक हुए दस्तावेज़ों से बार-बार ग़लत काम सामने आए हैं.
लीक के जवाब में ऐपलबी ने कहा है, “हम इस बात को लेकर संतुष्ट हैं कि हमारी ओर से या हमारे क्लाइंट्स की ओर से कुछ भी ग़लत नहीं किया गया है.” कंपनी ने कहा, “हम ग़ैरक़ानूनी व्यवहार बर्दाश्त नहीं करते हैं.”
ऑफ़शोर फाइनेंस क्या है?
इसका मतलब है कि ऐसा स्थान जो किसी के अपने देश के क़ायदे क़ानूनों से बाहर है, जिसके ज़रिए लोग या कंपनियां पैसे, संपत्तियां या लाभ कहीं और भेजकर कम टैक्स अदा कर ज़्यादा फ़ायदा उठा सकें.
ऐसे स्थानों को आम भाषा में Tax Haven कहा जाता है. इंडस्ट्री की भाषा में इन्हें ऑफ़शोर फ़ाइनेंसियल सेंटर्स (ओएफ़सी) कहा जाता है.
ये आमतौर पर स्थिर, भरोसेमंद और गुप्त होते हैं और अक्सर छोटे द्वीप होते हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ़ द्वीप ही होते हैं, और इनमें ग़लत कार्यों को रोकने के लिए क्या उपाय हैं इसे लेकर भिन्नताएं हो सकती हैं.
ब्रिटेन यहां एक बड़ा खिलाड़ी है, सिर्फ़ इसलिए नहीं कि उसके कई विदेशी क्षेत्र और राजशाही निर्भर क्षेत्र ओएफ़सी हैं बल्कि ऑफ़शोर इंडस्ट्री में काम कर रहे बहुत से वक़ील, अकाउंटेंट और बैंकर सिटी ऑफ़ लंदन में ही स्थित हैं. साथ ही ये बेशुमार दौलतमंद लोगों से भी जुड़ा है.
कैपिटल बिदाउट बॉर्डर्सः वेल्थ मैनेजर्स एंड द वन पर्सेंट के लेखक ब्रूक हैरिंगटन कहते हैं, “ऑफ़शोर फ़ाइनेंस एक प्रतिशत के लिए नहीं है बल्कि .001 प्रतिशत के लिए है. वह कहती हैं कि योजना के लिए जितनी ऑफ़शोर फ़ीस लगती है, 5 लाख डॉलर (3 लाख 80 हज़ार पाउंड) की संपत्ति उसके अनुरूप नहीं है.”
हम पर इसका क्या असर है और क्या हमें चिंता करनी चाहिए?
यहां बहुत ज़्यादा पैसा है. द बोस्टन कंसल्टिंग के मुताबिक क़रीब 10 हज़ार अरब डॉलर ऑफ़शोर में हैं. ये रकम ब्रिटेन, जापान और फ्रांस के साझा जीडीपी के बराबर है. और ये आंकलन कम भी हो सकता है.
ऑफ़शोर के आलोचकों का तर्क है कि इसका मुख्य कारण गुप्तता है, जो ग़लत कार्यों के लिए रास्ते खोलती है, और ग़ैर बराबरी है. आलोचकों का ये भी कहना है कि सरकार के इसे रोकने के लिए किए गए प्रयास धीमे और नाकाफ़ी हैं.
ब्रूक हैरिंगटन कहती हैं कि अगर अमीर लोग कर चुकाना बंद कर दें तो भार ग़रीबों पर ही पड़ेगा. “एक कम से कम राशि होती है जिसकी ज़रूरत सरकार चलाने के लिए होती है. सरकार अमीरों और कॉर्पोरेट कंपनियों के हाथों जो गंवाती है, उसे हमारी खाल से निकालती हैं.”
ब्रिटेन की पब्लिक अकाउंट्स समिति की अध्यक्ष और लेबर पार्टी की सांसद मेग हीलियर ने बीबीसी पैनोरमा से कहा, “ऑफ़शोर क्या चल रहा है हमें ये देखना चाहिए. अगर ऑफ़शोर गुप्त नहीं होता तो इसमें से बहुत कुछ हुआ ही नहीं होता. हमें पारदर्शिता की ज़रूरत है और हम चाहते हैं कि इस पर रोशनी पड़े.”
ऑफ़शोर का बचाव क्या है?
ऑफ़शोर फ़ाइनेंशियल सेंटर तर्क देते हैं कि अगर वो नहीं होते तो सरकार कितना टैक्स लगा सकती है, इस पर कोई बाधा ही नहीं होती. वो कहते हैं कि वो कैश के ढेर पर नहीं बैठे हैं बल्कि दुनियाभर में पैसों के लेनदेन के एजेंट के तौर पर काम करते हैं.
बॉब रिचर्ड्स से जब पैनोरमा ने अपने कार्यक्रम के लिए बात की थी तब वो बरमूडा के वित्त मंत्री थे. उन्होंने कहा था कि दूसरे देशों के लिए कर इकट्ठा करना उनका काम नहीं हैं और उन देशों को स्वयं अपनी समस्या सुलझानी चाहिए.
आयल ऑफ़ मैन के मुख्यमंत्री हॉवर्ड क्वाले और रिचर्ड्स ने इस बात से इंकार किया था कि उनके न्यायिक क्षेत्रों को Tax Haven कहा जा सकता है क्योंकि यहां नियम लागू हैं और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय नियमों का पालन किया जाता है.
हॉवर्ड क्वाले से पैनरोमा ने बात की थी. इन लीक्स में उनके राजशाही निर्भर क्षेत्र की अहम भूमिका है.
ऐपलबी ने भी अतीत में कहा था कि ओएफ़सीज़ “ऐसे लोगों की घूसखोर सरकारों से रक्षा करती है जो अपराध, भ्रष्टाचार या अभियोगों के पीड़ित हों. ”
पैराडाइज पेपर्स- ये बड़ी संख्या में लीक दस्तावेज़ हैं, जिनमें ज़्यादातर दस्तावेज़ आफ़शोर क़ानूनी फर्म ऐपलबी से संबंधित हैं. इनमें 19 तरह के टैक्स क्षेत्र के कारपोरेट पंजीयन के पेपर भी शामिल हैं. इन दस्तावेज़ों से राजनेताओं, सेलिब्रेटी, कारपोरेट जाइंट्स और कारोबारियों के वित्तीय लेनदेन का पता चलता है.
1.34 करोड़ दस्तावेज़ों को जर्मन अख़बार ने हासिल किया है और इसे इंटरनेशनल कंसोर्शियम ऑफ़ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) से शेयर किया है. 67 देशों के क़रीब 100 मीडिया संस्था से इसमें शामिल हैं, जिसमें गार्डियन भी शामिल है.
-BBC

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