Thirupparamkunram Murugan Temple – तिरुप्परणकुंरम मुरुगन मंदिर एक प्राचीन हिन्दू मंदिर और मुरुगन के छः निवासस्थानो में से एक है, जो भारत के तिरुप्परणकुंरम में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण पत्थरों से किया गया है और माना जाता है की छठी शताब्दी में पंड्या ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
तिरुप्परणकुंरम मुरुगन मंदिर – Thirupparamkunram Murugan Temple
शिलालेखात्मक सबूतों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण एक पर्वत से किया गया है और शुरू में यह एक जैन गुफा थी। एक मंदिर से जुडी हुई एक और कथा के अनुसार छठी शताब्दी से पहले भी इस मंदिर के अवशेष पाए गये थे और पंड्या राजाओ ने जैन मुनियों के साथ मिलकर इसे जैन धार्मिक सेंटर में परिवर्तित कर दिया था। बाद में इस मंदिर को गजपथी के संरक्षण में पंड्या राजा के मिनिस्टर में हिन्दू मंदिर में परिवर्तित किया गया।
तक़रीबन आठवी शताब्दी में इस मंदिर को हिन्दू मंदिर में परिवर्तित किया गया। मदुराई के नायक के शासनकाल में एक मंदिर में काफी सुधार किए गये और साथ ही मंदिर में बहुत से पिल्लरो का भी निर्माण किया गया। आधुनिक समय में मंदिर की देखभाल हिन्दू धार्मिक और एंडोमेंट बोर्ड तमिलनाडु करता है।
किंवदंतियों के अनुसार मंदिर उसी स्थान पर है जहाँ मुरुगन ने असुर सुरपद्मन का वध किया और स्वर्ग के राजा इंद्र की पुत्री, देइवयनै से विवाह किया था और साथ ही उन्होंने यहाँ परंगिरीनाथर के रूप में भगवान शिव की पूजा भी की थी।
यह मंदिर भारत में मदुराई से 8 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। मुख्य मंदिर में मुरुगन के अलावा भगवान शिव, विष्णु, विनायक और दुर्गा का भी घर है। मंदिर में पूजा करने की शैव परंपरा को अपनाया गया है।
तिरुप्परणकुंरम मुरुगन मंदिर के उत्सव – Thirupparamkunram Murugan Temple Festival:
तमिल माह ऐप्पसी (अक्टूबर-नवम्बर) में स्कंद षष्टि नामक महोत्सव मनाया जाता है और साथ ही यह मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण उत्सव है। सुरपद्मा का वध करने के बाद मुरुगा अंतिम छः दिनों तक अधिनियमित हो चुके थे और उत्सव के समय लगभग सभी मंदिरों में मुरुगन देवता की प्रतिमा को पूजा जाता है। इसके बाद तमिल माह पंगुनी में ब्रह्मोत्सवं का आयोजन किया जाता है। साथ ही मदुराई में आयोजित मीनाक्षी विवाह उत्सव के समय भी भगवान विष्णु और मुरुगन को पूजा जाता है, इस उत्सव पर स्थानिक लोग मदुराई के पारंपरिक कपड़ो को पहनते है।
साथ ही तमिल माह कर्थिगाई में कर्थिगाई दीपं नामक उत्सव का आयोजन किया जाता है, जिनमे पहाड़ी के शीर्ष पर दीपो को जलाया जाता है। साथ ही जबसे मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित किया गया है तबसे यहाँ वैकुण्ठ एकादशी का भी आयोजन बड़ी धूम-धाम से किया जाता है।
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