AISU सिफारिशें यूजीसी को जनवरी 2018 में प्रस्तुत की जाएंगी
गुरुग्राम। भारत में कौशल विश्वविद्यालयों के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने और उन पर विचार विमर्श के लिए भारतीय कौशल विश्वविद्यालयों की संस्था Association of Indian Skills Universities (AISU) की दूसरी बैठक 30 दिसंबर को गुरुग्राम में आयोजित की गई।
एसोसिएशन ऑफ इंडियन स्किल्स यूनिवर्सिटीज (AISU) की ओर से यह मीटिंग हरियाणा विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी (एचवीएसयू) में रखी गई थी। बैठक का संयोजन भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर और एआईएसयू के अध्यक्ष ब्रिगेडियर (डॉ) सुरजीत पाब्ला ने किया।
एचवीएसयू के कुलपति प्रोफेसर राज नेहरू ने बैठक में शामिल हुए सभी वाइस चांसलर और दूसरे सदस्यों का स्वागत करते हुए संक्षिप्त नोटिस पर बैठक की तत्काल आवश्यकता के बारे में सूचित किया।
डॉ. पाब्ला ने कहा कि यूजीसी ने कौशल विश्वविद्यालयों के लिए दिशा-निर्देश बनाने के लिए एक समिति गठित की है। चूंकि इन मानदंडों को एक ऐसी समिति द्वारा तैयार की जाने की आशंका है, जिसमें कौशल विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व शामिल नहीं होगा, ऐसे में हो सकता है कि यह कौशल विश्वविद्यालयों के लिए उपयुक्त साबित ना हो।
इसलिए AISUने अपने प्रतिनिधियों को यूजीसी कमेटी और अन्य सरकारी समितियों में शामिल करने के लिए रणनीति तैयार करने हेतु यह बैठक की है ताकि नियमों की उपयोगिता सुनिश्चित करने के लिए प्राधिकारियों का मार्गदर्शन किया जा सकें और प्रभावी मानदंड तैयार हो। ऐसे नियम तैयार हो, जिनसे कौशल विश्वविद्यालयों के हित सुरक्षित रहें और वह अकुशल को कौशल सम्पन्न करने के अपने अभियान को और मजबूती के साथ आगे बढ़ा सकें।
एचवीएसयू के वाइस चांसलर प्रोफेसर राज नेहरू ने कहा, ‘यदि यूजीसी अपनी समिति की सिफारिशों के आधार पर दिशानिर्देश जारी करता है तो इन परिवर्तनों को बदलना काफी मुश्किल होगा। इस प्रकार हमें यूजीसी के अपने दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देने से पहले हमारी सिफारिशों को भेजने के लिए तत्काल काम करना है। हमें कौशल विश्वविद्यालयों के लिए यूजीसी और एमएसडीई के उचित मानदंडों की आवश्यकता है।’
उन्होंने बताया कि कौशल विश्वविद्यालयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लाभार्थियों को वास्तव में जमीनी स्तर पर लाभ मिले। प्रो. नेहरू ने कहा, ‘हमें एक ऐसा तंत्र भी विकसित करने की जरूरत है जहां एक छात्र जो पहले से विभिन्न प्रमाणपत्र, डिप्लोमा या विभिन्न कौशल संस्थानों में डिग्री पाठ्यक्रम पूरे कर चुका है, उसका तमाम डेटा एक केंद्रीय भंडार प्रणाली पर उपलब्ध होते हुए सभी कौशल विश्वविद्यालयों में आसानी से उपलब्ध होना चाहिए। ऐसे में हम छात्र और उद्योग के लाभ के लिए पर्याप्त रूप से स्किल की पहचान और उपयोग करने में सक्षम होंगे।’
AISU के सदस्य 11 जनवरी को पुणे में कौशल विकास प्राधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे, इससे पहले कि वह अपनी सिफारिशों को यूजीसी में भेजें।
डिग्री के नामांकन के लिए, वर्तमान में कौशल डिग्री में केवल बैचलर ऑफ वोकेशन (बी.वोक.) और मास्टर ऑफ वोकेशन (एम.वोक.) को यूजीसी की डिग्री में शामिल किया गया है जो भारतीय विश्वविद्यालयों द्वारा प्रदान किया जा सकता है। चूंकि शब्द ‘वोकेशनल’ का व्यावसायिक अर्थ नहीं निकलता और यह छात्रों को कौशल पाठ्यक्रम में भर्ती करने के लिए प्रेरित नहीं करता, ऐसे में इस बात को लेकर विमर्श हुआ कि क्या इन डिग्रियों को बी. स्किल और एम. स्किल लिखना ज्यादा सही नहीं रहेगा, जिनके साथ कोष्ठक में संबंधित स्किल लिखी गई हो। उपरोक्त सुझाव आरआईएलडीएसयू, जयपुर के वाइस चांसलर प्रो. ललित के पंवार की तरफ से आया था। सदस्यों की ओर से इस संबंध में कुछ और सुझावों के बारे में चर्चा करने के बाद यह निर्णय लिया गया कि बी. स्किल और एम. स्किल के नामों को यूजीसी की डिग्री की सूची में शामिल करने के लिए यूजीसी से सिफारिश करनी चाहिए। जब तक यूजीसी अपनी सूची में इन नामों को शामिल नहीं करती, तब तक वर्तमान नामांकन बी. वोक और एम. वोक का उपयोग किया जाएगा।
सदस्यों ने यह भी सुझाव दिया कि कौशल विश्वविद्यालय की क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार सीमा को खत्म किया जाना चाहिए। कौशल विद्यालयों को अन्य क्षेत्रों में कैंपस शुरू करने की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि लाइव वर्चुअल कक्षाओं के साथ-साथ वास्तविक प्रशिक्षण दिया जा सकें और नौकरी पाने में आसानी हो सकें। एआईएसयू जल्द ही वर्चुअल क्लासेज की सिफारिश के लिए एक समिति का गठन करेगा, जो यूजीसी को प्रस्तुत की जाएगी।
सदस्यों ने यह भी सुझाव दिया कि कौशल विश्वविद्यालयों को कक्षा 9 के बाद के छात्रों के नामांकन के लिए लचीला होना चाहिए। वर्तमान में यूजीसी की प्रवेश मान्यता के लिए शैक्षिक मानदंड किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10 ़ 2 है। कौशल विश्वविद्यालय ओपन स्कूलिंग और आरपीएल (एमएसडीई द्वारा प्रारंभ किए जाने वाला पूर्व शिक्षण) के छात्रों को भी स्वीकार करें।
कौशल विश्वविद्यालय, कई क्षेत्रों, व्यापारों और नौकरियों के लिहाज से काम करते हैं, ऐसे में अन्य विश्वविद्यालयों के विपरीत एक कौशल यूनिवर्सिटी के ढांचे के बारे में स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए। एआईएसयू ने कौशल विश्वविद्यालयों के लिए नियम तैयार किए हैं। ब्रिगेडियर पाब्ला ने इन नियमों को सदस्यों के समक्ष पेश किया और 11 जनवरी को पुणे में होने वाली बैठक के बाद , इन नियमों को यूजीसी और एमएसडीई को भेजने का निर्णय लिया गया।
यह निर्णय लिया गया कि AISU कौशल विश्वविद्यालयों और पारंपरिक विश्वविद्यालयों से सदस्यता लेने के लिए खुला होगा, जो कौशल कार्यक्रमों की पेशकश कर रहे हैं।
डॉ. पाब्ला ने बताया कि बीएसडीयू, जयपुर सभी कौशल क्षेत्रों में कौशल प्रमाणपत्र, कौशल डिप्लोमा, एडवांस डिप्लोमा, बी.वोक और एम.वोक के स्किल प्रोग्राम पेश करेगा। यह सामान्य विश्वविद्यालयों द्वारा प्रस्तावित नियमित कार्यक्रमों की पेशकश नहीं करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक कौशल विश्वविद्यालय को पारंपरिक विश्वविद्यालयों की तरह बहुआयामी होना चाहिए। इसे स्नातकोत्तर और डॉक्टर कार्यक्रमों की पेशकश भी करनी चाहिए।
डॉ. पाब्ला ने कहा, ‘हमारे संकाय में मोटर वाहन कौशल, विद्युत कौशल, सूचना विज्ञान, फोटोनिक्स और रोबोटिक्स, लकड़ी और आंतरिक फिटिंग, कार्यालय प्रशासन, पॉलीमेकेनिक कौशल, स्वास्थ्य देखभाल जैसे कार्यक्रम जारी है और भविष्य में और अधिक संकायों में नए कार्यक्रम जोड़े जाएंगे। हमने 25 विभिन्न उद्योगों के साथ करार किया है जहां हमारे छात्रों का व्यावहारिक संपर्क होगा और उनके कौशल को बढ़ाया जाएगा। हमारा उद्देश्य उद्योग एकीकरण मॉडल प्रदान करना है जहां छात्रों को कमाने और सीखना के मौके मिले। कौशल शिक्षा अनिवार्य रूप से उद्योग से संबंधित है। कौशल प्रमाण पत्र के पूरा होने पर, एक छात्र को किसी उद्योग में काम करने के लिए तैयार होना चाहिए।’
बैठक में शामिल होने वालों में कर्नल (सेवानिवृत्त) आरके गोसैन, प्रोवोस्ट, बीएसडीयू, डॉ. सुनील गुप्ता, रजिस्ट्रार, एचवीएसयू, डॉ अनुराग, प्रो-वीसी, सेंचुरियन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट (सीटीएम), जयंत जोशी, अध्यक्ष राजेंद्र उर्सुला जोशी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरयूजेसीटी), विक्रांत पांडे, प्रोवोस्ट (वीसी), टीमलीज स्किल्स यूनिवर्सिटी (टीएलयू), डॉ अशोक श्रीवास्तव, डीन, एचवीएसयू, डॉ. राज सिंह, संयुक्त निदेशक, एचवीएसयू, एमएस चंचल भारद्वाज, सीओई, एचवीएसयू, एमएस सिमी सामसुंदरम, उप निदेशक, एचवीएसयू, डॉ दलीप रैना, असिस्टेंट प्रोफेसर (प्रबंधन), एचवीएसयू और एचवीएसयू के उप निदेशक संजय भारद्वाज के नाम हैं।
यह निर्णय लिया गया कि AISU कौशल विश्वविद्यालयों और पारंपरिक विश्वविद्यालयों से सदस्यता लेने के लिए खुला होगा, जो कौशल कार्यक्रमों की पेशकश कर रहे हैं।
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