मुंबई। राज्य के किसानों के गाय, भैस, बैल आदि पशुओं में होने वाली लाल -खुरकत बीमारी के कारण किसानों का भारी पैमाने पर आर्थिक नुकसान हो रहा है। पशुओं की उक्त बीमारी को रोकने के लिए टीकाकरण करने के लिए कई बार निविदा प्रक्रिया के बाद भी निविदा न देने का मुददा कल विरोधी दल के सदस्यों ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से उपस्थित किया और सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए इस मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की।
विरोधी दल नेता राधाकृष्ण विखे पाटील सहित अन्य सदस्यों ने कल ध्यानाकर्षण के माध्यम से पशुओं होने वाली उक्त बीमारी का मुददा उठाते हुए कहा कि पिछले एक वर्ष में पशुओं को दिए जाने वाले टीका की निविदा प्रक्रिया सात बार की गई। इस गोलमाल के लिए जिम्मेदार संबंधित आयुक्त और मंत्री की न्यायालयीन जांच करने मांग कांग्रेस राकांपा सदस्यों ने की। राकांपा सदस्यों ने कहा कि इस मामले का जवाबदार मंत्री की जांच कौन करेगा। ऐसा सवाल विरोधी दल के सदस्यों ने राज्य मंत्री अर्जुन खोतकर से किया। राज्य में करीब २ करोड़ १० लाख जानवरों में लाल-खुरकत रोग से बचाने के लिए प्रतिवर्ष गाय, बैल,भैस को राज्य सरकार की ओर से टीका दिया जाता है। परंतु पिछले एक साल से टीका नहीं दिया जा रहा है। जिसके कारण पशुओं के स्वास्थ्य पर खतरा उत्पन्न हो गया है। राज्य के दूध उत्पादन पर भी प्रतिकूल परिणाम पड़ने लगा है। अजीत पवार ने जांच की मांग की।
पशुसंवर्धन राज्यमंत्री अर्जुन खोतकर ने उच्चस्तरीय जांच की घोषणा विधान सभा में की। इस घोषणा पर विरोधी दलों को समाधान नहीं हुआ। मे इडियन इम्युलॉजिकल्स कंपनी, बायोवहेट प्रा लि और ब्रिलियंस बायो फार्मा, बंगलोर इन कंपनियों ने निविदा भरा था। कई बार निविदा निकाला गया। मे इंडियन इम्युलॉजिकल्स कंपनी का लस योग्य नहीं है। इस लिए ठेका नहीं दिया गया। पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने इस मामले की न्यायालयीन जांच करने की मांग की। तालिका अध्यक्ष सुभाष पवार ने विपक्ष को समझाने का प्रयाश किया, परंतु विरोधी दल आक्रामक हो गए और वेल में आकर हंगामा करने लगे। हंगामे और शोरगुल के बीच अध्यक्ष हरिभाऊ बागडे ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को सुरक्षित रख दिया।
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