टोरंटो। अब ट्रूडो ने विपक्षी नेता की दावे को सपोर्ट कर एक तरह से भारत पर सवाल उठाए हैं। बता दें कि अटवाल ट्रूडो के इवेंट में नजर आया और उसे कनाडा के हाईकमीशन की पार्टी के लिए न्योता भी मिला लेकिन विवाद के बाद इसे रद्द कर दिया गया था। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने पिछले भारत दौरे में किसी तरह के साजिश के आरोपों से इनकार नहीं किया है। कनाडा में विपक्ष के एक नेता ने खालिस्तान समर्थक जसपाल अटवाल को वीजा दिए जाने के पीछे गहरी साजिश का दावा किया है। उन्होंने सिक्युरिटी अफसरों के हवाले से कहा कि ट्रूडो के दौरे को नाकाम करने के लिए भारत सरकार ने खुद अटवाल का वीजा अप्रूव किया।
साजिश के आरोपों पर ट्रूडो ने कहा जब हमारे सीनियर डिप्लोमैट और सिक्युरिटी अफसर देश के नागरिकों से कुछ कह रहे हैं तो वो जानते हैं कि इसमें कुछ सच्चाई हो सकती है। साथ ही उन्होंने कहा यह पिछली कंजर्वेटिव (विपक्ष पार्टी) सरकार ही थी जिसने पब्लिक सर्विस में हर संभव रुकावटें पैदा करने की कोशिश की।
ट्रूडो के भारत दौरे से पहले ही भारत ने खालिस्तान समर्थक को वीजा देने से इनकार कर दिया था। कनाडा के प्रधानमंत्री ऑफिस ने भी सुरक्षा को खतरा देखते हुए सिक्युरिटी एजेंसियों से कहा था कि पीएम के साथ जाने वाले गेस्ट की लिस्ट की जांच की जाए। कनाडा के पब्लिक सेफ्टी मिनिस्टर राल्फ गोडले इसके लिए सिक्युरिटी एजेंसी के काम की तारीफ भी कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि गेस्ट की लिस्ट चेक करने में पुलिस और सिक्युरिटी सर्विस ने अपना काम अच्छे से किया है।
अटवाल को स्पेशल डिनर में बुलाने के विवाद पर ट्रूडो ने कहा था हमने इस मसले को गंभीरता से लिया। उसे कोई भी न्योता नहीं दिया चाहिए था। जैसे ही हमें इसकी जानकारी मिली कनाडा के हाईकमीशन ने इन्विटेशन रद्द कर दिया। पार्लियामेंट के एक मेंबर ने उसे पर्सनली बुलाया था। कनाडा के पीएमओ ने कहा था यह साफ कर देना अहम है कि वह (अटवाल) पीएम (ट्रूडो) के ऑफिशियल डेलिगेशन का हिस्सा नहीं था न ही उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय ने इन्वाइट किया था।
मुंबई के एक इवेंट में अटवाल ट्रूडो की पत्नी सोफिया के साथ नजर आया। एक अन्य फोटो में वह ट्रूडो के मंत्री अमरजीत सोही के साथ भी दिखाई दिया था। तस्वीरें सामने आने पर विवाद हुआ तो कनाडा के सांसद रणदीप एस सराई ने अटवाल को मुंबई के इवेंट में बुलाने की जिम्मेदारी ली थी।
जसपाल अटवाल खालिस्तान समर्थक रहा है। वह बैन किए गए इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन में काम करता था। इस संगठन को 1980 के दशक की शुरुआत में कनाडा सरकार ने आतंकी संगठन घोषित किया था। अटवाल को पंजाब के पूर्व मंत्री मलकीत सिंह सिद्धू और तीन अन्य लोगों को 1986 में वैंकूवर आईलैंड में जानलेवा हमला करने के केस में दोषी ठहराया गया था।
जसपाल उन चारों लोगों में शामिल था जिन्होंने सिद्धू की कार पर घात लगाकर हमला किया था और गोलियां चलाई थीं। सिद्धू ने आरोपों से इनकार किया था। इसके अलावा अटवाल को 1985 में एक ऑटोमोबाइल फ्रॉड केस में भी दोषी पाया गया था।
पंजाब में कुछ लोगों ने 1980 के दशक में खालिस्तान नाम से अलग देश बनाने की मांग की थी। इसके लिए उन्होंने भारत विरोधी हिंसक आंदोलन किए। 1984 में भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर में घुसकर वहां छिपे खालिस्तान सपोर्टर्स पर कार्रवाई की। इसके बाद धीरे-धीरे यह आंदोलन खत्म हो गया।
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