अलीगढ| वर्षों बाद पड़े दो ज्येष्ठ माह के एक माह को धर्म और पुण्य का महीना कहा जाने वाला पुरुषोत्तम मास के रूप में मनाया जाता है| चूंकि पुरुषोत्तम मास को पुण्य फलदायी मास कहा जाता है इसलिए श्रद्धालु श्रीमद्भागवत कथा व अन्य धार्मिक आयोजनों के माध्यम से निरंतर अपने आप को कृतज्ञ कर अपने जीवन के पाप,ताप, दुःख, आदि से मुक्त कर पुण्य अर्जन करते हैं| पुरुषोत्तम मास में विवाह आदि शुभ कार्य नहीं करने की मनाही के चलते 16 मई से 13 जून विवाह मुहूर्त नहीं थे जो कि आज से पुरुषोत्तम मास के समापन के साथ पुनः प्रारंभ हो गए। यह जानकारी वैदिक ज्योतिष संस्थान के अध्यक्ष परमपूज्य महामंडलेश्वर डा.आचार्य ब्रजेश शास्त्री ने दी|
परम पूज्य महामंडलेश्वर ने आगे बताया कि 13 जून को पुरुषोत्तम मास खत्म होने के पश्चात जून माह में विवाह के लिए नौ मुहूर्त जो 17, 18, 19, 20, 21, 22,23,25,27 तिथियों में हैं| वहीं जुलाई में सात मुहूर्तं 2,3,5,6,10,11,15 तिथियों को श्रेष्ठ हैं। इसके पश्चात 23 जुलाई से आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि अर्थात देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत हो जाएगी। देवशयनी से लेकर दिवाली के बाद देवउठनी एकादशी तक की अवधि देवगणों के विश्राम करने के कारण इस दौरान विवाह जैसे शुभ संस्कार नहीं किए जाएंगे।
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