लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को जनप्रतिनिधियों की अवहेलना और अपमानित किए जाने का मुद्दा शून्य काल में जोर-शोर से उठा। सरकार ने भी कहा जिलों में अधिकारियों को यह स्पष्ट निर्देश है कि जनप्रतिनिधियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करें। इसके बाद भी यदि कहीं से कोई शिकायत मिलती है तो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
शून्य काल में बसपा के वरिष्ठ सदस्य सुखदेव राजभर ने विधायकों के अपमान और उपेक्षा का मुद्दा उठाते हुए शिकायत की कि जिलों में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी जनप्रतिनिधियों को अपमानित कर रहे हैं। ब्यूरोक्रेसी, डेमोक्रेसी पर हावी हो रही है। अधिकारियों की निगाह में मानो जनप्रतिनिधि बनना अभिशाप हो गया है। राजभर ने कहा कि जिलों में दरोगा जनप्रतिनिधियों के फोन तक नहीं उठा रहे है। इसी मुद्द्े पर सपा के वरिष्ठ सदस्य मो. आजम खां ने कहा कि जब पक्ष-विपक्ष दोनों सदस्यों की यह शिकायत है कि शासन से लेकर जिलों तक में अधिकारियों द्वारा उन्हे अपमानित किया जा रहा है। उनके फोन नहीं उठाए जा रहे हैं तो एक तरह से यह सरकार के नो कान्फीडेंस जैसी स्थिति है। नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को अपमानित किया जाना कोई पक्ष विपक्ष का मुद्दा नहीं है। यह पूरे सदन से जुड़ी प्रतिष्ठा का सवाल है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में स्थिति दिनों दिन बिगड़ती जा रही है।
जवाब में संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि इस मुद्द्े पर सरकार गंभीर है। सरकार ऐसे किसी भी अधिकारी को नहीं बख्शेगी जो जनप्रतिनिधियों को अपमानित करेंगे। इस दिशा में पूर्व में परिपत्र जारी किए जा चुके हैं। सरकार की मंशा ऐसे अधिकारियों को बचाने की नहीं है जो जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा और उन्हे अपमानित कर उनकी अवेहलना करेंगे। उन्होंने कहा कि जिलों में अधिकारियों को यह स्पष्ट निर्देश है कि जनप्रतिनिधियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करें इसके बाद भी यदि कहीं से कोई शिकायत मिलती है तो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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Tuesday, 28 August 2018
विधान सभा में उठा जनप्रतिनिधियों को अपमानित किये जाने का मामला
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