नयी दिल्ली। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान विपक्ष द्वारा मुद्दा उठाये जाने पर कहा कि असम सरकार को मीडिया और खुफिया एजेंसियों से कुछ जानकारी मिली थी जिसके आधार पर कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाये रखने के लिए सिलचर हवाई अड्डे पर तृणमूल के प्रतिनिधि मंडल को रोका गया था।
श्री सिंह ने तृणमूल सदस्य कल्याण बनर्जी के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि प्रतिनिधिमंडल में शामिल पार्टी के छह सांसदों और पश्चिम बंगाल के कुछ मंत्रियों के साथ कोई दुर्व्यवहार किया गया। उन्होंने कहा कि हवाई अड्डे पर जिलाधिकारी ने पूरे प्रोटोकॉल के साथ सभी का स्वागत किया और हाथ जोड़कर अनुरोध किया कि वहाँ धारा 144 लगी हुई है, इसलिए उनका बाहर जाना उचित नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार से जानकारी मिली है कि प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्यों ने पुलिस के साथ हाथापाई की और इसी में एक सांसद को थोड़ी-बहुत चोट लगी थी। दो महिला पुलिस कर्मचारी भी घायल हुई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रतिनिधिमंडल ने हवाई अड्डे पर हँगामा भी किया जिसकी कुछ यात्रियों ने भी शिकायत की।
श्री सिंह ने कहा कि उसके बाद कोई अगली फ्लाइट उपलब्ध नहीं होने के कारण सांसदों को रात भी हवाई अड्डे के अतिथिगृह में ठहराया गया और आज सुबह की फ्लाइट से कोलकाता होते हुये दिल्ली भेजा गया है। इससे पहले श्री बनर्जी ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल सिर्फ स्थिति का जायजा लेने के लिए वहाँ गया था। वहाँ उनसे कहा गया कि आज जाकर जनसभा करेंगे। सांसदों के जनसभा से इनकार करने के बावजूद उन्हें नहीं जाने दिया गया और उनके साथ हाथापाई की गयी।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में पार्टी ने विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी दिया है। इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा कुछ बोलने पर श्री बनर्जी ने कहा कि उनके बयान से साफ है कि सांसदों को रोके जाने के पीछे सरकार की गलत मंशा थी। उन्होंने इसे अघोषित आपातकाल बताते हुये कहा कि लोगों के कहीं आने-जाने पर इस तरह का प्रतिबंध तो आपातकाल के दौरान भी नहीं था। कांग्रेस के तरुण गोगोई और अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि असम के लोग शांति और धैर्य दिखा रहे हैं तथा असमिया, बंगाली, गुजराती, बिहारी सब मिलकर रहना चाहते हैं। सबको इससे प्रेरणा लेनी चाहिये।
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