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Thursday 2 August 2018

सीडीओ ने आंगनवाडी केन्द्र का किया औचक निरीक्षण

मुजफ्फरनगर। मुख्य विकास अधिकारी अर्चना वर्मा ने कहा कि ग्राम लुहारी खुर्द के आंगनवाडी केन्द्रो को माॅडल केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। उन्होने कहा कि बच्चों के मानसिक विकास और स्वस्थ मनोरंजन के लिए विशेश प्रयास करने उनके द्वारा एवं बीडीओ तथा विकास भवन के अधिकारियों के सहयोग से खिलौना बैंक, बच्चो की कुर्सियां, झुलने का सामान एवं अन्य सामग्री क्रय की गयी। उन्होने वाॅल पेटिंग और आंगनवाडी केन्द्र पर करायी गयी मरम्मत का भी निरीक्षण किया। उन्होने कहा कि गर्भवती महिलाओं तथा किशोरियों की काउंसिंलिग करायी जाये तथा गर्भवती महिलाओं को सभी आवश्यक टीके समय पर दिये जाना और समस्त आवश्यक जांचे कराये जाने के भी निर्देश दिये। उन्हेाने कहा कि बच्चों को अतिकुपोशण से बाहर कर उन्हें स्वस्थ बनाना है और उनका षारीरिक और मानसिक विकास करना है। उन्होने अतिकुपोशित बच्चो के अभिभावकों तथा गर्भवती महिलाओं की काउंसिंलिंग भी करायी। उन्होने किशोरियों को साफ सफाई एवं अन्य आवश्यक जानकारियां भी उपलब्ध कराये जाने के निर्देश दिये। मुख्य विकास अधिकारी अर्चना वर्मा आज यहां अपने गोद लिये गांव लुहारी खुर्द में आंगनवाडी केन्द्र का परियोजना निदेशक के साथ निरीक्षण कर रही थी। उन्होने कहा कि बच्चों के पोशण पर विशेष ध्यान रखे जाने की आवश्यकता है। उन्होने गर्भवती महिलाओं क बारे में कहा कि गर्भावस्था के दौरान इन महिलाओं को और अधिक पोष्टिक आहार की आवश्यकता होती है। उन्होने कहा कि परिवार जन भी गर्भवती महिलाओं की देखभाल करे। उन्होने कहा कि आशा और आंगनवाडी हर सप्ताह इनके खान-पान एवं टीके आदि के बारे में इनकी काउंसिलिंग करती रहे। उन्होने कहा कि स्वस्थ बच्चें के लिए माता का स्वस्थ होना अति आवश्यक है।
मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि प्राथमिक विद्यालय में 06 आंगनवाडी केन्द्र संचालित है और इन आंगनवाडी केन्द्रो में 5 अतिकुपोशित श्रेणी के बच्चें है। मुख्य विकास अधिकारी ने निर्देश दिये कि अतिकुपोशित बच्चों को अतिरिक्त पोषाहार देकर एवं देखभाल कर सामान्य की श्रेणी में लाना है। दो बच्चे जन्मजात दिव्यांग है। उन्होने कहा कि तीन बच्चों को एनआरसी पर संर्दभित किया जाये जिससे बच्चें 14 दिन की अवधि में पूर्ण रूप से संतुलित डायट और देखभाल होने के बाद अतिकुपोशण से मुक्त हो सके। उन्हेाने बताया कि एनआरसी पर खाना पीना सब कुछ निशुल्क है। उन्होने कहा कि कोई भी ऐसा बच्चा नही होना चाहिए जो नियमित रूप से आंगनवाडी केन्द्र पर न आये। सभी पंजीकृत बच्चों को आंगनवाडी केन्द्र पर लाने के लिए निर्देश दिये। उन्होने कहा कि आंगनवाडी केन्द्रों पर बच्चो की उपस्थिति पर विशेष ध्यान दिया जाये। उन्होने कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति उनके अभिभावकों की काउंसिलिंग नियमित रूप से करायी जाये। उन्होने गर्भवती महिलाओं की सभी आवश्यक जांचे एवं आवश्यक टीके लगाये जाने के भी निर्देश दिये। उन्होने कहा कि संस्थागत प्रसवांे को बढावा दिया जाये और कोई भी प्रसव गैर संस्थागत न हो। मुख्य विकास अधिकारी ने आंगनवाडी केन्द्र पर साफ सफाई की उचित व्यवस्था रखे जाने के निर्देश दिये। उन्होने कहा कि सफाईकर्मी सफाई का विशेष ध्यान रखे और रोस्टर के अनुसार अपने ड्यूटी करना सुनिश्चित करे। उन्होने कहा कि गांव में साफ सफाई एवं स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाये। उन्होने कहा कि वीएचएनडी दिवसों की फोटोगाफी भी करायी जाये। उन्होने बच्चों को हरी सब्जी, दाल, गेहू, बाजरे की रोटी, तथा सत्तू/पंजीरी को खिलाये जिससे कि कुपोषण से बचा जा सके। कुपोषण से बच्चों को बचाने की जिम्मेदारी अभिभावकों की है। उन्होने कहा कि यदि घर में साफ सफाई और स्वच्छता रहेगी तो बीमारी से बचा जा सकेगा। मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को भी पोष्टिक आहार दिया जाये ताकि वे स्वस्थ्य बच्चों को जन्म दे सके। उन्होनेे आंगनवाडी केन्द्र पर ग्रोथ रजिस्टर का भी अवलोकन किया। उन्होने कहा कि नियमित रूप से प्रति सप्ताह बच्चों का वजन कराया जाये और उसका अंकन रजिस्टर में कराया जाये। उन्होने निर्देश दिये कि सीडीपीओ प्रति सप्ताह दो बार आंगनवाडी केन्द्रो का निरीक्षण करना सुनिश्चित करे। मुख्य विकास अधिकारी ने आशा, आंगनवाडी कार्यकत्री और ए.एन.एम. को निर्देश दिये कि वे सर्वे करे और 0 से 05 साल के बच्चों के टीकाकरण हेतु सूची बनाये जिसमे सबसे पहले ज्यादा उम्र के बच्चों को ऊपर रखें। गर्भवती महिलाओं व बच्चों की संयुक्त सूची बनाये तथा सूची बनाने के बाद आशा, आंगनवाडी कार्यकत्री और ए.एन.एम अपनी अपनी सूची से मिलान करे ताकि काई भी बच्चा टीकाकरण से छूट न जाये। उन्होने कहा कि 0 से 5 वर्ष के बच्चों के स्वास्थ को सबसे ज्यादा खतरा होता है। उन्हेाने कहा कि बच्चे के जन्म लेते ही उसकेा टीका लगवा देना चाहिए क्योकि अगर टीका छूट गया है तो बच्चे का बीमारी लग सकती है। उन्होने उपस्थित सभी माता-पिता से कहा कि यह जिम्मेदारी आपकी सबसे ज्यादा है कि आपके बच्चों को समय से टीका लगा है या नही इसलिए इसे जिम्मेदारी के साथ निभाये। गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के दौरान लगवाये जाने वाले टीके अवश्य लगावाये ताकि भविष्य मे बच्चों को बीमारी से बचाया जा सके। उन्होने कहा कि गर्भवती महिलाएं आयरन की गोली भी अवश्य खाये। मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि अति कुपोषित व कुपोषित बच्चे को आंगनवाडी केन्द्र पर उपलब्ध कराया जाने वाला आहार दिया जाये और उनकी जांच नियमित रूप से की जाये। उन्होने कहा कि आशा संस्थागत प्रसव करानेे में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाये। उन्होने कहा कि जन्म के समय जो बच्चा 2.5 किलोग्राम वजन से कम है वह कुपाषित की श्रेणी में है उन्हेाने कहा कि जन्म के 1 घण्टे के अन्दर बच्चों को आवश्यक रूप से मां का दूध दिया जाये। उन्होने कहा कि छः माह तक बच्चें को मां के दूध के अलावा अन्य किसी पोष्टिक आहार की आवश्यकता नही होती है। उन्होने कहा कि मां के दूध में रोग प्रतिरोधी क्षमता हेाती है। उन्होने कहा कि जो भी कुपोषित व अति कुपोषित बच्चे है उनको हर सप्ताह वजन कराया जायें ताकि पता चल सके कि बच्चा अब किस श्रेणी मे है। इस अवसर पर परियोजना निदेशक, सीडीपीओ, एएनएम, आशा, आंगनवाडी कार्यकत्री, ग्राम प्रधान तथा अन्य अधिकारी/कर्मचारी मौजूद थे।

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