भोपाल। एससी, एसटी का मुद्दा भाजपा सरकार के गले की फांस बन गया है। बिना जांच गिरफ्तारी के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटते हुए जब से सरकार ने कानून बनाया है,तब से उसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है,क्योंकि यहां नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। देवकीनंदन ठाकुर जैसे संत भी मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार की मुश्किलों को और बढ़ा रहे हैं। इस चौतरफा दबाव को कम करने के लिए शिवराज सिंह ने बीते दिनों ऐलान कर दिया था कि राज्य में बिना जांच के कोई गिरफ्तारी नहीं होगी। हालांकि, ये दांव उल्टा पड़ गया है। सोशल मीडिया सवाल उठे कि जब देश की संसद कानून बना चुकी है,तो राज्य सरकार उसमें कैसे बदलाव कर सकती है? विपक्षी पार्टियां भी शिवराज सिंह पर हमलावर हो गईं,लेकिन राजधानी भोपाल में बैठे बड़े-बड़े पत्रकारों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री से सवाल दागने की जहमत नहीं उठाई। इस मुद्दे पर नेताओं के खामोश रहने की मजबूरी तो समझी जा सकती है, मगर मीडिया की खामोशी समझ से परे है।
राजधानी में पत्रकारों की खामोशी ने संभवतः भाजपा और शिवराज सिंह चौहान को थोड़ी राहत जरूर दी होगी, लेकिन जब वो भोपाल की सीमा से बाहर निकले तो उन्हें तीखे सवालों का सामना करना पड़ा। दरअसल,21 सितम्बर को केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल प्रदेश के परासिया आए थे,उनकी अगुवानी के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा भी पहुंचे थे। वापसी में जब दोनों पिपरिया रेस्ट हाउस में रुके,तो पत्रकारों ने सबसे पहले प्रभात झा को घेर लिया। सामान्य सवाल-जवाबों के बीच न्यूज चैनल ‘अनादी’ के पत्रकार आलोक हरदेनिया ने एससी-एसटी से जुड़ा वो कठिन सवाल झा से पूछ लिया,जिससे राजधानी के पत्रकार भी बचते आ रहे थे।
हरदेनिया ने पूछा कि मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि बिना जांच के गिरफ्तारी नहीं होगी, तो इस संबंध में सरकार नोटिफिकेशन कब तक जारी कर रही है? उम्मीदों के अनुरूप इसका सीधा जवाब देने के बजाए झा ने कहा,‘शिवराज सिंह मेरे नेता हैं, सरकार वो हैं। मैं एक बहुत छोटा सा कार्यकर्ता हूं। शिवराज सिंह ने जो कहा है उसके बारे में मैं क्या कह सकता हूं,बेहतर होगा अगर आप उन्हीं से यह सवाल पूछें।’
इसके बाद जब मुख्यमंत्री से पत्रकार संजय दुबे,नीरज श्रीवास्तव और हरदेनिया का सामना हुआ तो उन्होंने तपाक से वही सवाल दोहरा दिया,लेकिन शिवराज कोई जवाब देने के बजाए, चुपचाप वहां से निकल गए। इसका एक विडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। विडियो में साफ तौर पर नजर आ रहा है कि जब मुख्यमंत्री से पूछा गया कि मध्य प्रदेश में एससी, एसटी को लेकर आपने कहा है कि बगैर जांच के कोई गिरफ्तारी नहीं होगी,जबकि संसद कानून बना चुकी है, तो उन्होंने बिना कुछ बोले बस हाथ जोड़े और उल्टे पांव लौट गए।
मीडिया से बातचीत में आलोक हरदेनिया ने कहा,एससी-एसटी पर सरकार का सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ जाना प्रदेश ही नहीं पूरे देश के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है। ऐसे में जब राज्य सरकार ने केंद्र से अलग कोई घोषणा की तो उस पर सवाल लाजमी था। जनता को यह पता होना चाहिए कि जो कहा जा रहा है,उसमें कितनी हकीकत है, यही हम पत्रकारों का काम भी है। सबसे पहले मेरे साथी संजय दुबे के इस सवाल से सीएम को असहज किया।
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