लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि आर्थिक मोर्चे पर भाजपा की विफल नीतियों के चलते देश संकटग्रस्त हो गया है। मंहगाई पर उसका कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। नोटबंदी और जीएसटी ने व्यापक स्तर पर आर्थिक अराजकता फैलाई है उससे व्यापार का समस्त ढांचा नेस्तनाबूत हो गया है। किसान को फसल की लागत भी नहीं मिल पा रही है। खाद, बीज, बिजली की किल्लत है। ऐसे में जनसामान्य की जिंदगी तबाह हुई है। अखिलेश ने कहा है कि 04 वर्ष में 50 हजार से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। उन्होंने कहा है कि किसान के बजाय भाजपा पूंजीघरानों की सुख सुविधा पर ही ध्यान देती है।
अखिलेश ने आईपीएन को दिए अपने बयान में कहा कि जबसे भाजपा ने केन्द्र और राज्य में सत्ता सम्हाली है, कृषि अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। भाजपा ने गेंहू और गन्ना किसानों को धोखा दिया। गेंहू खरीद में खूब धांधली हुई। गन्ना मिलों में पेराई सत्र शुरू हो गया है पर किसान को बकाया धन नहीं मिला। अभी ज्वार, बाजरा, उड़द, मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित हुआ पर हकीकत यह है कि किसान को ज्वार के घोषित 2400 रूपए की जगह मात्र 1200 रू0, बाजरा के घोषित मूल्य 1950 की जगह 1300, उड़द का घोषित मूल्य 5600 की जगह 3500 और मक्का के घोषित मूल्य 1700 की जगह मात्र 1000 रूपए ही मिल रहे हैं। कोई खरीद केन्द्र नहीं खोला गया है। फलस्वरूप बिचैलिये और आढ़तियों के हाथों किसान लुटने को मजबूर है।
अखिलेश ने कहा कि एक ओर तो किसान को फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल रहा है दूसरी तरफ डीएपी खाद में 800 रूपए प्रतिकुंतल वृद्धि कर दी गई है जिससे वह 1100 से 1500 रूपए प्रति कुंतल बिक रही है। 50 किलो यूरिया जो गतवर्ष 299 रूपए में मिलती थी अब 320 रूपए में बिक रही है। एनपीके (50 किलो) गतवर्ष के दाम 1,140 की जगह 1,350 रूपए बाजार में बिक रही है। 100 किलो गेंहू का बीज गतवर्ष 2,800 रूपए था अब 3,280रूपए में मिल रहा है। अरहर, उड़द और मसूर दाल दस से 15 रूपए मंहगी हो गई है।
अखिलेश ने कहा कि घरेलू गैस सिलेण्डर (14.2 किलो) के दाम 979.50 रूपए हो गए हैं। सरसों का तेल और रिफाइण्ड के दाम भी बढ़ गए हैं। बिजली की दरों में भी इजाफा हैं। डीजल-पेट्रोल के दामों में बढ़ोŸारी से मालभाड़ा भी बढ़ जाता है। इस सबके फलस्वरूप किसान ज्यादा कर्जदार होता जा रहा है और मजबूरन फांसी के फंदे पर झूल जाता है।
अखिलेश ने कहा कि 04 वर्ष में 50 हजार से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। किसान के बजाय भाजपा पूंजीघरानों की सुख सुविधा पर ही ध्यान देती है। भाजपा नेतृत्व के पास सिवाय गुमराह करने और अफवाहें फैलाने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं है। भाजपा के वादों का झूठ अब सबके सामने आ गया है। किसानों की आय दुगनी करने का खूब हल्ला मचा लेकिन आज तक उसका ब्योरा नहीं मिल पाया है। अभी कृषि कुंभ के नाम पर किसानों को सिर्फ बहकाने का प्रयास हुआ था। किसान अब धोखा खाने के लिए तैयार नहीं है।
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Sunday 11 November 2018
04 वर्ष में 50हजार से ज्यादा किसान कर चुके हैं आत्महत्या : अखिलेश
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