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Friday 21 December 2018

प्रदूषण से आगाह करेगा ‘एअर क्वालिटी मैनेजमेंट टूल’

लखनऊ(आईपीएन)। प्रदूषण एक ऐसी समस्या है, जिससे हर कोई निजात चाहता है। फिर भी यह संभव नहीं हो पा रहा है, लेकिन अब आप भी अपने आसपास की आबोहवा में घुले प्रदूषण को जान-परख सकेंगे। सावधानी रख खुद और परिवार के साथ समाज में उन लोगों को भी आगाह कर सकते हैं, जो आपके आसपास के वातावरण में रहते हैं। आईआईटी-कानपुर के विशेषज्ञों ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जो आपको प्रदूषण कर प्रति आगाह करेगा। प्रदूषण से जूझ रहे लोगों को निजात दिलाने के लिए हवा की गुणवत्ता जांचने को आईआईटी-कानपुर ने एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है। यह हर कैटेगरी के प्रदूषण का पता लगातर में सक्षम है। एअर क्वालिटी मैनेजमेंट टूल नामक यह सॉफ्टवेयर प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों का भी आसानी से पता लगा लेगा।
आईआईटी-कानपुर के प्रोफेसर मुकेश शर्मा और उनकी टीम द्वारा तैयार यह सॉफ्टवेयर लखनऊ स्थित उप्र पर्यावरण निदेशालय को सौंपा गया है। इसका इस्तेमाल कर अब पर्यावरण निदेशालय आपके वातावरण की आबोहवा की शुद्धता को जांचेगा और वेबसाइट पर अपडेट कर आपको आगाह करेगा।
प्रोफेसर मुकेश शर्मा ने बताया कि अभी तक मौजूद तकनीक से प्रदूषण के स्तर को आसानी से नापा जा सकता है, लेकिन प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों की डिटेल जानकारी ठीक प्रकार से हासिल नहीं होती है। अब इस नए सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से अन्य जानकारियों को भी आसानी से ट्रेस किया जा सकेगा।

ऐसे मापा जाएगा प्रदूषण स्तर :
शहर को एक ग्रिड में बांटा जाएगा। दो-दो किलोमीटर के जोन बनेंगे। हर जोन की एयर क्वालिटी को डिजिटलाइज किया जाएगा। हर ग्रिड पर डिटेल काम होगा। ग्रिडों की परिधि में निश्चित समय में कुल वाहनों का आवागमन, ट्रैफिक की स्थिति और प्रदूषण फैलाने वाले अन्य तत्वों की मॉनिटरिंग होगी। प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों के साथ एयर क्वालिटी इंडेक्स की डिटेल रिपोर्ट जानी जाएगी।

एक जांच से पता चलेगा ‘एअर क्वालिटी और प्रदूषण सीमा’ :
जियोग्राफिकल इन्फरमेशन सिस्टम के आधार पर तैयार इस सॉफ्टवेयर के उपयोग से एअर क्वालिटी और प्रदूषण सीमा दोनों की जांच आसानी से होगी। किस तरह का प्रदूषण किस-किस क्षेत्र में बढ़ा है, इसकी भी घर बैठे जानकारी मिलती रहेगी। धूल, धुआं, ध्वनि सभी की जानकारी से आप अवगत होंगे।

यह है खासियत :
प्रो. मुकेश ने बताया कि प्रदूषण के हर श्रोत का पता करना इसकी खासियत है। दो किमी परिधि के दायरे में दिशा के साथ काम करने वाला यह साफ्टवेयर एक दिशा से दूसरे दिशा में फैलने वाले प्रदूषण के कारणों को भी बताएगा। यानी उत्तर की हवा प्रदूषित है, तो वह दक्षिण की हवा कैसे प्रभावित करेगी, यह जानकारी देने में सक्षम है।

नियमित रूप से अपडेट करेगा पर्यावरण विभाग :
पर्यावरण विभाग इसे अपनी वेबसाइट पर नियमित रूप से अपडेट भी करेगा। बस एक क्लिक पर ही आम आदमी को पर्यावरण की वेबसाइट से हर ग्रिड के बारे में जानकारी हासिल हो जाएगी।

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