अमेरिका में आर्थिक हालात अस्थिर हो चुके हैं। इस बदतर हालतों में लाखों कर्मचारी बिना वेतन के काम करने को मजबूर होने वाले हैं। डेमोक्रेट्स की सीनेट एप्रोप्रिएशन कमेटी के अनुसार लगभग सवा 4 लाख सरकारी कर्मचारी बिना वेतन के काम करने को मजबूर होंगे। वहीं 3.8 लाख लोग छुट्टी पर जा रहे हैं। क्रिसमस से पहले खराब हुए इन हालातों को लेकर लोगों में गुस्सा व रोष है। दरअसल शुक्रवार को डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन और विपक्षी पार्टी के बीच यूएस-मेक्सिको बॉर्डर वॉल की फंडिंग पर सहमति न हो पाई। इस दीवार के लिए ट्रंप प्रशासन ने 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 35,000 करोड़ रुपयों का बजट दिया था जो पास नहीं हो सका। इस पर ट्रंप प्रशासन ने शटडाउन का एलान कर दिया।
अमेरिका में एंटी-डेफिशिएंसी नाम का कानून है, जिसके तहत पैसों की कमी होने पर सरकारी कर्मचारियों को काम रोकना होता है। संसद में किसी मसले पर आर्थिक रजामंदी न हो पाने पर ये नौबत आती है। इसके तहत सरकारी कर्मचारियों को जरूरी और कम-जरूरी समूहों में बांट दिया जाता है। पहली श्रेणी के कर्मचारी काम पर तो आते हैं लेकिन उन्हें वेतन नहीं मिलता है, वहीं दूसरी श्रेणी के कर्मचारी घर बिठा दिए जाते हैं जब तक कि शटडाउन खत्म न हो जाए। जब कर्मचारियों को उनका वेतन मिलता है और काम शुरू हो जाता है।
अमेरिका के इतिहास में शटडाउन कई बार हो चुका है। साल 1981, 1984, 1990, 1995-96 और 2013 के दौरान अमेरिका के पास खर्च करने के लिए पैसा नहीं बचा था। अक्टूबर 2013 का शटडाउन करीब दो हफ्तों तक चला था। उस समय अमेरिका में ओबामा की सरकार थी और 8 लाख कर्मचारियों को इस दौरान घर बैठना पड़ा था।
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