लखनऊ। एरा मेडिकल यूनिवर्सिटी के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड का 15वॉ माइक्रोबायोलॉजिस्ट वार्षिक सम्मेलन यूनिवर्सिटी के सभागार में आज सम्पन्न किया गया । सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य हॉस्पिटल में होने वाले संक्रमण से बचाव की परिक्रिया को लेकर चर्चा हुई। एरा मेडिकल कॉलेज में यूपी. यूके माइक्रोन कान्फ्रेंस में बढ़ते हुये एंटी बायोटिक रजीस्टेन्स के खतरे केलिए उत्तर प्रदेश भर के माइक्रोबायोलोजिस्ट ने अपने विचार व्यक्ति किया। एसपीजीआई चंडीगढ़ के प्रोफ़ेसर डॉ पल्लव ने बताया कि कोलोस्टीन एन्टीबायोटीक के जानवरो के उपयोग में प्रतिबंधित लगा दिया गया है, यही आखिरी एन्टी बायोटिक हैं, जो रजींसटेंट बैक्टीरिया पर असरदार बची हुई है,अस्पताल में किस तरह के एंटीबायोटिक्स प्रयोग किये जाने चाहिए यह यह निर्धारित करता है अस्पताल का एंटीबायोटिक ग्राम ।
देशभर में एरा का पहला सॉफ्टवेयर होगा : प्रोफेसर विनीता
एरा मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर विनीता खरे ने बताया कि एरा में एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया गया है जिससे सही एंटीबायोटिक की पहचान हो जाएगी जो कि देशभर में एरा का पहला सॉफ्टवेयर होगा। जिसमें डॉक्टर प्रशांत गुप्ता ऑपरेशन थियेटर और आईसीयू को साफ करने के तरीके के बारे में बताते हुऐ कहा कि रजींसटेंट के बढ़ते खतरे के बजय से बिना जॉच के ट्रीटमेंट नहीं करना चाहिए। हालाकि यह जॉच केजीएमयू के अलावा प्रदेश में बहुत कम जगह है।
देशभर के 300 से अधिक इन्फेक्शन डिसीज के डॉक्टर्स सम्मिलित हुए
इस कार्यक्रम के आयोजक एरा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर मस्तान सिंह और डॉक्टर विनीता खरे, एरा यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ अब्बास अली मेहंदी, डॉक्टर मस्तान, डॉक्टर प्रशांत गुप्ता ,केजीएमयू के वीसी डॉ एमएलबी भट्ट और एम्स भोपाल के डायरेक्टर डॉ रमन सिंह उपस्थित रहे।
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