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Saturday 2 February 2019

तमिलनाडु में हाथियों का आतंक, तमिलनाडु सरकार को सालाना 70 से 80 लाख मुआवजे की चपत

*हर साल तकरीबन 350 लोग मारे जाते हैं।
*1000 से 1200 हेक्टेयर फसल हर साल चौपट होती है।
*हाथियों की मौत की रफ्तार कोई खास कमी नहीं आ रही है।
*मैन एनिमल कनफ्लिक्ट बढ़ रहा है।
*पशु प्रेमी आवाज उठा रहे हैं।

डॉक्टर आर.बी. चौधरी

चेन्नई (तमिलनाडु)। मैन एनिमल कनफ्लिक्ट-“मनुष्य एवं पशु संघर्ष” की कहानी कोई नई बात नहीं है। राज्य के वन विभाग द्वारा “चिन्नाथंबी” नामक एक नर हाथी को पकड़ कर उचित स्थान पर रखने की कोशिश नाकाम हो रही है।इस चंचल हाथी को वनकर्मी जब पकड़ कर दूर ले जाते हैं तो उसके कुछ घंटे बाद उसी स्थान पर वापस वह आ जाता है। चारे की खोज में जब फसलों को नुकसान करता है तो लोग उसे भगाते हैं और तंग करतेजो कानूनन अपराध है। राज्य का वन विभागपरेशान है। पशु प्रेमी इस मुद्दे को उठा रहे हैं। सवाल है घटते-सिमटते जंगलों के जीव जंतु अब कहां जाएं।

गत दो दिनों से कोयंबटूर का वन प्रभाग चिन्नाथंबी को पकड़ने के लिए परेशान है। चिन्नाथंबी एक नर नौजवान हाथी है जिसे पिछले सप्ताह तीन प्रशिक्षित हाथियों को विभिन्न स्थानों से लाकर पकड़ा गया और कोयंबटूर के प्रभावित क्षेत्र से 70 किलोमीटर दूर संरक्षण केंद्र पर छोड़ दिया गया था। किंतु, चिन्नाथंबी महज दो दिनो के अंदर फिर उसी स्थान पर वापस लौट आया। विशेषज्ञों के अनुसार हाथों की स्मरण शक्ति बहुत तेज होती है। घटनाओं को काफी लंबे समय तक याद रखते हैं। आमतौर पर 40- 50 किलोमीटर दूर की यात्रा करना उनकी दिनचर्या का एक भाग होता है। कोयंबतूर क्षेत्र का वन विभाग इस कोशिश में लगा हुआ है कि 25 वर्षीय चिन्नाथंबी को पकड़ कर प्रशिक्षण के लिए भेज दिया जाए ताकि उसको नियंत्रित किया जा सके। प्राणी मित्र संघ की अध्यक्ष गौहर अजीज मैं सरकार सेअनुरोध किया है कि “मैन एनिमल कनफ्लिक्ट” को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं नहीं तो देशभर के पशु प्रेमीसड़क पर आ जाएंगे।

इस समय वन विभाग द्वारा पकड़ने की कोशिश जारी है। जब एक तरफ से पीछा करते हुए लोग करीब आते हैं तो उसके कुछ क्षण बाद वह दूसरी तरफ निकल जाता है। कल गन्ने के खेत में घुस जाने से वन कर्मियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आज कुछ लोगों ने पीछा किया और करीब पहुंच कर चल सेल्फी निकालने की कोशिश कर रहे थे और जैसे ही 40 से अधिक वन्य विशेषज्ञ -अधिकारी उसके पास पहुंचते , वह मक्के के खेत में गायब हो गया। वन विभाग के अधिकारी चिन्नाथंबी को पकड़ने के लिए नई योजनाएं बना रहे हैं ताकि जिले में बंद कर प्रशिक्षण के लिए भेज दिया जाए। हालांकि, अभी तक चिन्नाथंबी ने किसी भी आदमी पर आक्रमण नहीं किया है।

इस अनियंत्रित हाथी को पकड़ने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।हालांकि,पकड़ने के लिए 3 विशेष प्रशिक्षित हाथियों की तैनाती की गई है। यह निर्णय लिया गया है कि चिन्नाथंबी को ट्रंकलाइज यानी बेहोशी का इंजेक्शन देकर पकड़ लिया जाए। विभाग के अनुसार चिन्नाथंबी की गतिविधियां काफी आश्चर्यजनक है और वह पकड़ में नहीं आ रहा। फिलहाल , धर -पकड़ के लिए कोशिश जारी है ताकि किसानों की फसलों को बचाया जा सके। विशेषज्ञों के अनुसार इसे प्रशिक्षित किया जाना अत्यंत आवश्यक अन्यथा इसकी हरकत जस की तस बनी रहेंगीऔर फसलों का नुकसानजारी रहेगा।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार फसलों के नुकसान के लिए वन विभाग को वर्ष 2018 के दौरान तकरीबन 70 – 80 लाख रुपए का मुआवजा भरना पड़ा था। इस इसके अलावा जान -माल की क्षति के भरपाई के लिए 4 लाख प्रति परिवारके दर से भुगतान किया गया था। सरकारी आंकड़े अभी बताते हैं कि वर्ष 2018 के दौरान कुल 100 लोग हाथियों के गुस्से का शिकार हुएऔर अपनी जान गवा बैठे। हाथी संरक्षण एवं संवर्धन मे लीन संस्थाओं-विशेषज्ञों के अनुसार हर साल तकरीबन 350 किसानअपनी जान गवाते हैं। इसी प्रकार तकरीबन 1000 से 12,000 हेक्टेयर भूमि पर लगे फसलों का नुकसान होता है। इंडियन वेटरनरी इंस्टिट्यूट ,बरेली के वाइल्ड लाइफ वैज्ञानिक डॉक्टर बी.एम. अरोरा के अनुसार “मैन एनिमल कनफ्लिक्ट्स”बढ़ता जा रहा है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2017 में 5,869 हाथियों की मृत्यु हुई थी जो वर्ष 2018 में घटकर 4,195 हो गया अर्थात पिछले साल की तुलना में हाथियों के मृत में घटोतरी हुई है।

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