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Sunday 3 February 2019

केंद्रीय मंत्री का खुलासा किसानों के लिए और बड़ा कदम उठा सकती है मोदी सरकार

नई दिल्ली। किसानों को अंतरिम बजट में दिए गए राहत पैकेज पर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने बदलाव के संकेत देते हुए कहा कि सरकार के संसाधन बढ़ेंगे जिससे 6,000 रुपये के न्यूनतम सहायता राशि को भविष्य में बढ़ाया जा सकता है। इस योजना के ऊपर भी राज्य सरकारें आय समर्थन योजनाओं की घोषणा कर सकती हैं। बजट भाषण के बाद न्यूनतम सहायता राशि को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था, ’17 रुपये प्रतिदिन देकर सरकार ने किसानों का अपमान किया है।’

बता दें कि वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बजट पेश करते हुए किसानों को सालाना 6,000 रुपये की न्यूनतम सहायता देने की घोषणा की है। अगर इस राशि का आंकड़ा प्रति माह के हिसाब से निकाला जाए तो यह 500 रुपये मासिक बैठती है। किसानों को यह राशि तीन किस्तों में दी जाएगी।

जेटली ने कहा कि इस साल किसानों को न्यूनतम आय समर्थन देने की शुरुआत हुई है। सरकार के संसाधन बढ़ने पर इस राशि को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही इस सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर जो लाखों करोड़ रुपये खर्च किए हैं यह राशि इस योजना की राशि से अलग है। उन्होंने कहा, ‘हमनें 75,000 करोड़ रुपये से इस योजना की शुरुआत की है। आगामी वर्षों में इसमें इजाफा होगा।

लगभग 15 करोड़ भूमिहीन किसानों को इस योजना से अलग रखे जाने संबंधी सवाल पर जेटली ने कहा कि ऐसे किसानों के लिए ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा और अन्य कई योजनाएं भी हैं। जेटली ने कांग्रेस शासन पर वार करते हुए कहा कि पी चिदंबरम जब वित्त मंत्री थे तो उन्होंने 70,000 करोड़ रुपये का कृषि ऋण माफी की घोषणा की थी। लेकिन, केवल 52,000 करोड़ रुपये ही वितरित किए गए। कैग की रिपोर्ट में भी यह बात कही गई है कि इसकी एक बड़ी राशि व्यापारियों और कारोबारियों के पास चली गई। यह एक तरह की धोखाधड़ी है।

जेटली ने कहा, ‘हम लाखों करोड़ रुपये ग्रामीण क्षेत्रों पर खर्च कर रहे हैं। 75,000 करोड़ रुपये से न्यूनतम आय समर्थन की शुरुआत कर रहे हैं। और आने वाले समय में इस राशि को बढ़ाया जाएगा. हालांकि अगर राज्य सरकार भी इसमें कुछ राशि जोड़ेगी तो यह और बढ़ जाएगी। कुछ राज्यों ने इसपर योजना की भी शुरुआत की है। मुझे ऐसा लगता है कि अन्य राज्य भी उनके रास्ते पर चलेंगे।

अरुण जेटली ने कहा कि कृषि क्षेत्र की दिक्कतें दूर करने की जिम्मेदारी राज्यों की भी बनती है। उन्होंने कहा, ‘मैं नकारात्मक सोच रखने वाले नवाबों से कहूंगा कि वे अपनी राज्य सरकारों से कहें कि इसपर वे भी कुछ भूमिका निभाएं।’ उन्होंने कहा कि ज्यादातर केंद्रीय योजना 60:40 के अनुपात में होती हैं।

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