लखनऊ। पूरे देश में वसन्तपंचमी का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया गया। माघ शुक्ल की पंचमी को आज वसंत पंचमी मनाई जा रही है। इस बार बसंत पंचमी पर अमृतसिद्धी और शुभ योग का उत्तम संयोग बन बन रहा है। इसे ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप मनाया जाता है। बसंत ऋतु में सरसों कर फसल के कारण धरती पीली नजर आती है। इसी लिए लोग पीले वस्त्र पहन कर बसंत का स्वागत करते हैं। इस दिन सूर्य उत्तारायण होता है। हरि ज्योतिष संस्थान के ज्योतिर्विद पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि जिन बच्चों की पढ़ाई शुरू करानी होती है, उन्हें आज के दिन ही पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है। इस दिन अबूझ मुहूर्त रहता है। बिना तिथि निकलवाए ही मंदिर में प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा, घर की नींव, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य किये जा सकते हैं।
बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। मां सरस्वती को मां शारदे, वीणा वादिनी जैसे कई नामों से जाना जाता है। मां सरस्वती का वास विद्या के साथ होता है इसलिए खास तौर पर हर एक शैक्षणिक संस्थानों में उनकी पूजा जाती हैं। उनकी पूजा के लिए विशेष पंडाल लगाए जाते हैं और विद्यार्थियों और शिक्षकों की उपस्थिति में उनकी पूजा और आराधना की जाती है। मैं सरस्वती विद्या और कला की देवी हैं तो उनकी पूजा का अवसर हो और गीत और भजन की बात ना हो ऐसा हो नहीं सकता है। मां सरस्वती की पूजा का महत्व प्राचीन काल से ही रहा है और आज तक उनकी पूजा बड़े ही आस्था और विश्वास के साथ की जाती है। आम तौर पर उनकी पूजा कि विधि में संस्कृत के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, बता दें कि वैसे छात्र जो पढ़ाई लिखाई में कमजोर होते हैं कहा जाता है कि वे अगर मन और ध्यान से बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करें तो उन पर मां की विशेष कृपा होती है। छात्र इस दिन अपनी किताब-कॉपी और कलम की भी पूजा करते हैं।
बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त
बसंत पंचमी पूजा मुहूर्त: सुबह 6:40 बजे से दोपहर 12.12 बजे तक।
पंचमी तिथि प्रारंभ: मघ शुक्ल पंचमी शनिवार 9 फरवरी की दोपहर 12:25 बजे से शुरू।
पंचमी तिथि समाप्त: रविवार 10 फरवरी को दोपहर 2:08 बजे तक।
मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित कर वंदना करें।
पूजा के स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबें रखें।
बच्चों को शिक्षा संबंधी सामग्री दें और पीला भोजन करें।
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