लखनऊ। जहां एक तरफ यूपी सरकार सरकारी अस्पतालों में अच्छे स्वास्थ्य के बड़े बड़े दावे कर रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर राजधानी में सरकार द्वारा मरीजों को बेहतर से बेहतर इलाज के लिए किए जा रहे सारे प्रयास जमीनी स्तर पर असफल नजर आ रहें हैं,इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग सबकुछ जानते हुए भी मामले में गंभीरता नहीं लाता जिससे कि इन अस्पतालों की स्थिति में कुछ सुधार हो सके। मंगलवार को कुछ ऐसा ही मामला राजधानी के महानगर स्थित भाऊराव देवरस (बीआरडी) अस्पताल का है जहां का आईसीयू बंद हो गया है। कॉर्डियक डॉक्टर भी नहीं हैं जिसके चलते इस क्षेत्र के मरीजों को किसी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है।
जानकारी के मुताबिक तत्कालीन सीएमएस डॉ. एके श्रीवास्तव ने इस अस्पताल में पांच बेड का आईसीयू बनवाया था। करीब डेढ़ साल पहले वही दिल के मरीजों का इलाज कर आईसीयू में भर्ती प्रक्रिया को करते थे। अब तीन बेड जन औषधि केंद्र एवं दो बेड अंदर थे। अब इन बेडों पर दिल के गंभीर मरीजों की भर्ती नहीं हो रही है। यही नहीं इस समय कॉर्डियक का कोई डॉक्टर भी इस अस्पताल में नहीं है। दिल के मरीजों का सामान्य इलाज वहां के जनरल फिजिशियन कर रहे है। दिल के गंभीर मरीजों को सही इलाज न होने से वह दूसरे अस्पताल जा रहे हैं। स्थानांतरण के बाद अब डॉ. एके श्रीवास्तव सिविल अस्पताल में मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
इस सम्बन्ध में बीआरडी अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरपी सिंह का कहना है कि शासन स्तर से अस्पताल में कॉर्डियक डॉक्टर की तैनाती के लिए पत्र भेजा गया है। यहां अभी आईसीयू की व्यवस्था नहीं है। पहले में जो वार्ड खोला गया था, वह पूरी तरह से आईसीयू नहीं था। अब वहां पर सामान्य मरीजों को भर्ती किया जाता है। निर्माण कार्य चल रहा है। जल्द ही आईसीयू शुरू कर मरीजों को भर्ती किया जाएगा।
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