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Wednesday 6 February 2019

स्वाइन फ़्लू नाम गलत कहा जाता, पैंडेमिक इन्फ्लूएंजा,इनमें हैं तीन प्रकार के वायरस

ए,बी और सी,जिसमें ए सबसे ज्यादा खतरनाक। डॉ अमिता जैन

लखनऊ। राजधानी में एक दिवसीय स्वाइन फ्लू संवेदी करण कार्यशाला का आयोजन बुद्धवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभागार में किया गया। इस कार्यशाला का उद्घाटन निदेशक ,संचारी रोग डॉ मिथिलेश चतुर्वेदी ने किया। कार्यशाला के दौरान केजीएमयू के पल्मोनरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ सूर्यकांत ने बताया कि हमारी संस्कृति में संचारी रोगों से बचाव के लिए घर में ही शिक्षा दी जाती थी, दादी नानी सभी को बताती थी कि बाहर से आने पर पहले हाथ पैर और मुंह धोकर ही रसोई घर में प्रवेश करने देती थी ।डॉ सूर्यकांत ने स्वाइन फ्लू के बारे में बताया कि स्वाइन फ्लू का संक्रमण व्यक्ति को स्वाइन फ्लू के रोगी के संपर्क में आने पर होता है।

इस प्रक्रिया से रहें सावधान

इस रोग से प्रभावित व्यक्ति को स्पर्श करने जैसे हाथ मिलाना, उसके छींकने, खांसने ,ने या पीड़ित व्यक्ति की वस्तुओं के संपर्क में आने से स्वाइन फ्लू से कोई व्यक्ति ग्रसित होता है। खांसने, छींकने, आमने-सामने निकट से बातचीत करते समय रोगी से स्वाइन फ्लू के वायरस दूसरे व्यक्ति के श्वसन तंत्र नाक, कान ,मुहं में प्रवेश कर जाते हैं ।

प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होते ही,आ सकतें संक्रमण की चपेट में

अनेक लोगों में वह संक्रमण बीमारी का रूप नहीं ले पाता या कई बार सर्दी जुकाम और गले में खराश तक ही सीमित रहता है ।ऐसे लोग जिनका प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होता है जैसे बच्चे, वृद्ध, मधुमेह या एचआईवी से ग्रसित व्यक्ति, दमा और ब्रोंकाइटिस के मरीज ,नशा करने वाले व्यक्ति को कुपोषण ,एनीमिया या अन्य बीमारियों से प्रभावित लोग, गर्भवती महिलाएं इस संक्रमण की चपेट में जल्दी आते हैं। गर्भवती महिलाओं में संक्रमण के कारण मृत्यु दर तुलनात्मक रूप से अधिक होती है।

स्वाइन फ़्लू नाम गलत अब कहा जाता पैंडेमिक इन्फ्लूएंजा । डॉ अमिता जैन

केजीएमयू की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अमिता जैन ने बताया कि स्वाइन फ़्लू नाम गलत है इसे अब पैंडेमिक इन्फ्लूएंजा कहा जाता है ।इसके वायरस तीन प्रकार के होते हैं जो ए, बी और सी ,जिसमें ए सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। वृद्ध व्यक्तियों में खतरनाक होता है। इसकी जांच के लिए गले अथवा नाक से स्वाब लिया जाता है जो कि कॉटन स्वाब नहीं होना चाहिए ,। डेकरान अथवा नायलॉन का स्वाब लेना चाहिए ।

सी कैटेगरी के रोगियों को ही जांच के लिए भेजे ।डॉ मिथिलेश

निदेशक संचारी रोग डॉ मिथिलेश चतुर्वेदी ने कहा कि चिकित्सकों को सर्दी ,जुकाम बुखार के सभी मरीजों को जांच के लिए नहीं भेजना चाहिए। केवल कैटेगरी सी के रोगियों को ही जांच के लिए भेजा जाना चाहिए ।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि स्वाइन फ्लू से घबराने की जरूरत नहीं है ।इसकी रोकथाम के लिए सभी उपाय किए जा रहे हैं। पर्याप्त मात्रा में स्वाइन फ्लू की दवा तथा मास्क सीएमओ कार्यालय में मौजूद हैं ।कार्यक्रम में केजीएमयू की बालरोग विशेषज्ञ डॉ शालिनी त्रिपाठी तथा नोडल अधिकारी वेक्टरबार्न डा केपी त्रिपाठी ने भी स्वाइन फ्लू के बारे में जानकारी दी।

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