लखनऊ। चिकित्सीय सेवा सबसे बड़ी सेवा है,क्योंकि इस पेशे में कर्म के साथ सेवा भी होती है लेकिन अशांत मन और अक्रामक स्वभाव से सेवापूर्ण नहीं होती और पहले से ही परेशान मरीज और अधिक परेशान हो जाता है। यह बात आज ब्रह्माकुमारी शिवानी ने केजीएमयू के अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में कार्यक्रम के दौरान (आत्म बोध के माध्यम से स्व उपचार) विषय पर कही ।
केजीएमयू होगा क्रोध मुक्त संस्थान —प्रो भट्ट
हाल ही में राष्ट्रपति ने ब्रह्माकुमारी शिवानी बहन को वर्ष 2018 के लिए नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया है।उन्होंने इस आयोजन में संदेश दिया कि खुदको बदलने पर ही प्रतिकूल माहौल बदलेगा। इस अवसर पर ब्रह्मा कुमारी शिवानी बहन ने कुलपति से निवेदन किया कि केजीएमयू को क्रोध मुक्त अस्पताल बनाए जहां शांतमन से उपचार संभव हो सकें क्योंकि आपकी मनोस्थिति का प्रभाव दूसरों को भी प्रभावित करता है।जिसमें कुलपति ने केजीएमयू को क्रोध मुक्त संस्थान बनाने का आश्वासन दिया।
व्यर्थ सोचने से बचे और सात्विक कर्म व भोजन करें — ब्रह्माकुमारी शिवानी
उन्होंने कहा कि अक्सर लोग प्रतिकूल परिस्थिति में क्रोध आने को स्वाभाविक प्रक्रिया मान बैठते हैं जबकि ऐसा नहीं है। सीन चेंज करने से अच्छा है कि स्वयं में चेंजलाएं। ऐसा करते ही आपका मन भी शांत रहेगा और आपके सम्पर्क में आने वाले मरीजों को भी उपचार एवं संतुष्टी प्राप्त होगी। उन्होंने कहाकि जो जैसा सोचता है वह वैसा ही बन जाता है।इसलिए नकारात्मक सोचने से बेहतर है कि हम सकारात्मक विचारधारा मन में रखे,व्यर्थ सोचने से बचे और सात्विक कर्म और भोजन करें।
यह रहे उपस्थित
इस अवसर पर मुख्य रूप से ब्रह्मा कुमारी राधा , रजिस्ट्रार आरके राय, वित्त अधिकारी जमा,डीन, स्टूडेंट वेलफेयर डाॅ जीपी सिंह, डीन नर्सिंग, डाॅ मधुमति गोयल, क्वीनमेरी अस्पताल की अधीक्षक डाॅ एसपी जायसवार,आर्थोविभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ प्रदीप टण्डन, अधिष्ठाता दंत संकाय, प्रो शादाब मोहम्मद, पेरियोडोंटिक विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ आरके चक, सहित सैकड़ों की संख्या में चिकित्सक, छात्र-छात्राएं एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
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