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Thursday, 7 March 2019

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल हो सकती है

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले और प्रियंका गांधी की राजनीतिक सक्रियता के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में खलबली मच गई है। उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा का गठबंधन नई शक्ल लेने वाला है। सूत्रों की मानें तो समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल हो सकती है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कांग्रेस को गठबंधन में जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार सपा और बसपा कांग्रेस को 13 सीट और दे सकती है। जबकि 2 सीटें अमेठी और रायबरेली पहले से ही कांग्रेस के लिए छोड़ी गई हैं। इससे पहले कांग्रेस 20 सीटें मांग रही थी। गुरुवार को दिल्ली में कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में उत्तर प्रदेश को लेकर चर्चा हुई। जिसके बाद गठबंधन में कांग्रेस के शामिल होने की चर्चा जोरों पर है। वहीं दो दिन पहले अखिलेश यादव ने कहा था कि कांग्रेस भी इस महागठबंधन का हिस्सा है उसके बाद से ही सियासी गलियारों में ये चर्चा और तेज हो गई कि कांग्रेस गठबंधन के साथ चुनाव लड़ेगी।
अखिलेश यादव और मायावती ने लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन का ऐलान करते हुए 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। उसके बाद सपा-बसपा गठबंधन में राष्ट्रीय लोक दल को शामिल किया गया था ।अजित सिंह की पार्टी रालोद को तीन सीटें मिली हैं। राष्ट्रीय लोकदल को पश्चिमी यूपी की मथुरा, मुजफ्फरनगर और बागपत सीट मिली है।
सूत्रों की मानें तो प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आने के बाद सपा और बसपा नेताओं का रुख बदला है। दोनों पार्टियां कांग्रेस के साथ मिलकर मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करना चाहती हैं। वहीं गठबंधन के ऐलान के बाद उत्तर प्रदेश में सपा बसपा के कुछ नेताओं को जब टिकट नहीं मिला तो पार्टी छोड़ कांग्रेस में शामिल होने लगे । अखिलेश और मायावती को लगा कि अगर कांग्रेस को गठबंधन का हिस्सा नहीं बनाया गया तो वो कांग्रेस मुश्किल खड़ी कर सकती है। हाल ही में बसपा की सीतापुर से पूर्व सांसद कैसर जहां ने कांग्रेस का हाथ थामा, वहीं समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक भी नाराज होकर कांग्रेस में शामिल हो गए। यहीं नहीं भाजपा की सांसद सावित्री बाई फुले भी कांग्रेस में शामिल हो गईं। जबकि सावित्री बाई फुले दो बार अखिलेश यादव से मिल चुकी थीं। लेकिन उन्होंने अखिलेश की पार्टी के साथ ना होकर, कांग्रेस का दामन थाम लिया। उसके बाद अखिलेश यादव को ये डर सताने लगा कि कांग्रेस को गठबंधन में शामिल नहीं करना खतरे से खाली नहीं है।

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