नई दिल्ली।संपूर्ण विश्व में महिलाओं के त्याग, बलिदान, संघर्ष और स्वाभिमान के प्रतीक रूप में मनाये जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विश्व युवक केंद्र परिसर में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन 8 मार्च को किया गया/इस संगोष्ठी में कुल 250 प्रतिभागियों ने सक्रियता के साथ भाग लिया जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ-साथ सामाजिक संस्थानों के प्रतिनिधि, स्कूली छात्र, और सामुदायिक बस्तियों के युवा जन शामिल रहे।
सेमिनार का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा के माध्यम से प्रतिभागियों में महिलाओं के अधिकारों तथा सुरक्षा के प्रति जागरूकता का प्रसार करना था जिससे कि वह सामाजिक बदलाव में अपना सकारात्मक योगदान दे सकें। संगोष्ठी का उद्घाटन एस्पाइड संस्थान की वाइस प्रेसिडेंट श्रीमती ललिता एस ए के द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। स्वागत संबोधन के साथ कार्यक्रम का परिचय प्रस्तुत करते हुए विश्व युवक केंद्र के मुख्य नियंत्रक उदय शंकर सिंह ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का उद्देश्य नारी को उसके अधिकारों के प्रति प्रोत्साहित करके उन्हें सशक्त होने का अवसर प्रदान करना है ताकि वह न केवल खुद को सशक्त कर सके बल्कि उन्नत समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें। उद्घाटन भाषण प्रस्तुत करते हुए डा. बसंती रमन ने कहा कि यद्यपि महिलाओं को उपेक्षा ,भेदभाव, लैंगिक असमानता व शोषण का सामना पूर्व में बहुत करना पड़ा है यद्यपि 21वीं सदी के भारत में यह सभी कुरीतियां उन्मूलन की ओर हैं लेकिन आज भी कहीं न कहीं भारतीय समाज इन कुरीतियों से अछूता नहीं है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की समस्याओं का हल है महिलाओं को शिक्षित करना , जागरूक बनाना और कुशल बनाकर आत्मनिर्भरता प्रदान करना। गेस्ट ऑफ ऑनर तथा लैंगिक अधिकारों की प्रमुख पक्षकार श्रीमती ज्योत्सना रॉय ने भारतवर्ष के उत्थान में महिलाओं के अतुल्य योगदान का वर्णन करते हुए कहा कि हमारे देश में नारी को हमेशा से ही शक्ति और सुरक्षा का पर्याय माना जाता रहा है। उन्होंने कहा कि गुलामी के दौर में दुश्मन से जमकर लोहा लेने में भारतीय नारियों की हिम्मत और हौसले का कोई सानी नहीं रहा। पहले की नारी बहुत सशक्त थी उसे हथियार चलाने, घुड़सवारी करने और युद्ध में भाग लेने का कौशल सिखाया जाता था लेकिन आज की स्थिति इसके विपरीत है आज हर औरत को समाज में अपने लिए एक सुरक्षा का घेरा चाहिए।मुख्य अतिथि श्रीमती ललिता ने समाज में महिलाओं के प्रति बढ़ते जा रहे अपराधों पर चिंता व्यक्त की। कार्यक्रम के आयोजन हेतु विश्व युवक केन्द्र की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में प्रतिभागिता के जरिए से सामाजिक दृष्टिकोण में काफी हद तक बदलाव लाया जा सकता है। श्रीमती ललिता ने कई सारे ज्वलंत उदाहरणों के माध्यम से यह बताया कि मजबूत इरादों और बुलंद हौसलों के बिना चुनौतियों से भरे इस समाज में कामयाबी भरी पहचान बना पाना संभव नहीं है, इसके लिए लड़कियों को शिक्षा, कौशल, खेल, जागरूकता और आत्म सुरक्षा इत्यादि क्षेत्रों में आगे निकल कर आना होगा विषयगत चर्चा का संचालन अदिति महाविद्यालय की प्रधानाचार्य डॉक्टर ममता शर्मा ने किया । चर्चा के दौरान मेवाड़ यूनिवर्सिटी की निदेशक डॉ अलका अग्रवाल ने महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका ,वर्तमान स्थिति और भविष्य की रणनीतियां विषय पर अपने विचारों से प्रकाश डाला,सुप्रसिद्ध लेखक और सिंपली एचआर सॉल्यूशंस के संस्थापक तथा मैनेजिंग पार्टनर रजनीश सिंह ने कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए अवसर, मुद्दे और चुनौतियां विषय पर अपने विचार रखे, लेडी इरविन कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर अर्पणा ने इलेक्टोरल वे टू वूमेन एंपावरमेंट विषय पर अपने विचार रखे, भीम राव अंबेडकर कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ जी के अरोरा ने लैंगिक संवेदनशीलता विषय पर बहुत महत्वपूर्ण तथ्य रखे तो वहीं छांव फाउंडेशन से सोनिया चौधरी ने जर्नी आफ करेज: शेयरिंग ऑफ एक्सपीरियंस विषय पर अपने अनुभव साझा किए। एक ओर इन वक्ताओं के द्वारा महिला सशक्तिकरण से जुड़े इतने महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचारों का मंथन किया गया तो वहीं कार्यक्रम के दूसरे भाग को और अधिक मनोरंजक तथा जागरूक बनाते हुए एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कविवर श्री गजेंद्र सोलंकी की अध्यक्षता में उपेंद्र पांडेय, सुमेधा शर्मा और सोनल दहिया जैसे कवियों ने अपने प्रेरणादायक और सुमधुर काव्यपाठ से सेमिनार को नई ऊंचाई पर पहुंचाया। मनोरंजन के अगले दौर में भीमराव अंबेडकर कॉलेज और अदिति महाविद्यालय के छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिये से नृत्यकला, गायन और कविता के प्रस्तुतिकरण से इस सेमिनार को और अधिक आकर्षक तथा रंगारंग बनाया। समारोह का समापन राष्ट्रीय गान के साथ किया।
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