पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) के नए संस्करण ने आज सुबह 9 बजकर 27 मिनट पर उड़ान भरी। वह अपने साथ रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के लिए इलेक्ट्रॉनिक इंटेलीजेंस सैटेलाइट (EMISAT) और 28 अन्य थर्ड-पार्टी उपग्रहों को ले गया। इसरो का यह पहला ऐसा मिशन है, जो तीन अलग-अलग कक्षाओं में सैटलाइट्स को स्थापित करेगा।
उड़ान भरने के लगभग 17 मिनट बाद रॉकेट 749 किलोमीटर दूर स्थित कक्षा में 436 किलोग्राम के EMISAT को प्रक्षेपित कर देगा। बता दें EMISAT का प्रक्षेपण रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के लिए किया जा रहा है। दुश्मन पर नज़र रखने के लिहाज से भी EMISAT काफी महत्वपूर्ण है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कहा, सामरिक क्षेत्रों से उपग्रहों की मांग बढ़ गई है। लगभग छह या सात उपग्रहों के निर्माण की योजना है। भारत जुलाई या अगस्त में किसी समय अपने नए स्मॉल सेटेलाइट लांच व्हीकल (एसएसएलवी) रॉकेट से दो या ज्यादा रक्षा उपग्रहों को भी लांच करेगा।
एमीसेट को कक्षा में रखकर रॉकेट 28 विदेशी उपग्रहों (अमेरिका के 24, लिथुआनिया के दो और स्पेन तथा स्विट्जरलैंड के एक-एक उपग्रह) को 504 किलोमीटर की ऊंचाई पर प्रक्षेपित करने के लिए वापस आएगा। इन सभी 28 उपग्रहों का वजन लगभग 220 किलोग्राम है। ऐसा करने के बाद भारत कुल 297 विदेशी उपग्रहों को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर लेगा। उड़ान भरने के बाद पूरा मिशन लगभग 180 मिनट में पूरा हो जाएगा।
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