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Thursday, 4 April 2019

पुलिस वसूली कांड: एसपी बाराबंकी निलंबित, डीजीपी मुख्यालय से संबद्ध

  • तीन आईपीएस के नामों का पैनल चुनाव आयोग को भेजा गया 

लखनऊ। प्रदेश के जनपद बाराबंकी में ट्रेडिंग कंपनी के अधिकारियों से 65 लाख रुपये की वसूली कांड में गुरुवार को आखिरकार एसपी बाराबंकी डॉ. सतीश कुमार को निलंबित कर दिया गया। चुनाव आयोग की अनुमति मिलने के बाद यह कार्रवाई की गई। 2013 बैच के आइपीएस अधिकारी डॉ. सतीश कुमार को डीजीपी मुख्यालय से संबद्ध किया गया है। सूत्रों की माने तो बाराबंकी पुलिस कप्तान के पद पर तैनाती के लिए डीजीपी मुख्यालय द्वारा चुनाव आयोग को भेजे गये नामों के पैनल में आईपीएस अजय साहनी और अजय पाल शर्मा के नाम प्रमुख हैं,माना जा रहा है कि इन्हीं में किसी एक की तैनाती हो सकती है।

बाराबंकी पुलिस की साइबर सेल प्रभारी दारोगा अनूप कुमार यादव पर विश्वास ट्रेडिंग कंपनी के पदाधिकारियों से 65 लाख रुपये वसूलने का आरोप है। डीजीपी ओपी सिंह के निर्देश पर प्रकरण की गोपनीय जांच में पुष्टि के बाद आरोपित दारोगा को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। प्रकरण में एसपी बाराबंकी की भूमिका भी संदेह के दायरे में है। एसटीएफ की गोपनीय जांच में सामने आया कि आठ जनवरी को दारोगा अनूप यादव ने कंपनी के कार्यालय जाकर संचालकों से कहा था कि वे अपने संबंधित दस्तावेज लेकर एसपी बाराबंकी के दफ्तर पहुंचे और कामकाज के बारे में बताएं। इसी क्रम में कंपनी संचालक क्राइम ब्रांच आफि स और फि र एसपी आफि स गए थे। गृह विभाग की रिपोर्ट में बताया गया है कि एसपी आफि स में कंपनी संचालक और कर्मचारी एसपी डॉ. सतीश कुमार से मिले थे और उन्हें कंपनी के बारे में जानकारी दी थी। डॉ. सतीश कुमार ने कंपनी संचालक से कहा था कि आप जाइए और जब विवेचना के लिए बुलाया जाएगा तो सहयोग करिएगा। जब कंपनी संचालक लौटने लगे तो दारोगा अनूप यादव ने कहा कि आप लोग गिरफ्तार हो गए हैं। कहा गया कि ६० लाख रुपये दो नहीं तो कंपनी और माल सीज हो जाएगा। गौरतलब हो कि बाराबंकी के हैदरगढ़ कोतवाली क्षेत्र निवासी सावले शर्मा ने विश्वास ट्रेडिंग कंपनी के पदाधिकारी मूलरूप से कोलकता निवासी कंपनी संचालक प्रेसनजी सरदार, शंकर गायन व धीरज श्रीवास्तव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। शंकर का आरोप है कि उन्हें व उनके साथियों को फ र्जी मामले में साक्ष्यों के बगैर 11 जनवरी को जेल भेज दिया गया था। यही नहीं लखनऊ स्थित उनका ऑफिस भी सील कर दिया गया था। जमानत पर छूटने के बाद आरोपितों ने डीजीपी को पूरे मामले की जानकारी दी और दारोगा अनूप यादव पर 65 लाख रुपये वसूलने का आरोप लगाया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी ने प्रकरण की गोपनीय जांच कराई थी।

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