अवैध जमीन मामले में आईएमटी की हो सकती है सीबीआई जांच | Alienture हिन्दी

Breaking

Post Top Ad

X

Post Top Ad

Recommended Post Slide Out For Blogger

Monday 20 May 2019

अवैध जमीन मामले में आईएमटी की हो सकती है सीबीआई जांच

पार्षद राजेन्द्र त्यागी का आईएमटी को लेकर एक और खुलासा,प्रमुख सचिव
आवास को भेजा पत्र

गाजियाबाद-आईएमटी द्वारा अवैध रूप से कब्जाई गई 10841 वर्ग गज जमीन के मामले में सीबीआई जांच हो सकती है। भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र त्यागी ने राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे पत्र का हवाला देते हुए पत्रकार वार्ता में यह दावा किया। उन्होंने कहा कि इस मामले में जीडीए को इस प्रकरण की संपूर्ण जांच करानी चाहिए। इसके लिए उन्होंने प्रमुख सचिव आवास को पत्र लिखा है। उनका कहना है कि कब्जाई जमीन को आईएमटी को सीधे देने की बजाय खुली बोली के जरिए इसकी नीलामी होनी चाहिए।संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनके द्वारा पिछले दिनों राज्यपाल को लिखे पत्र पर संज्ञान लिया गया। इसके परिणाम स्वरूप राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की है। यह पत्र राज्यपाल द्वारा 3 मई को मुख्यमंत्री को लिखा गया है।उन्होंने कहा कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा इस प्रकरण में सचिव की अध्यक्षता में जो जांच कमेटी बनाई थी उसमें यह साबित हो गया है कि आईएमटी का 10841 वर्गगज जमीन पर अवैध कब्जा है। जांच कमेटी ने इस जमीन को वर्तमान बाजार भाव से संस्था को देने का जो मन बना रही है, वह सही नहीं है। सरकारी बाजार भाव का मतलब डीएम सर्किल रेट होता है। यह केवल 60 हजार रुपये प्रति वर्ग गज है। जबकि बाजार भाव यहां का डेढ़ लाख रुपए प्रति गज चल रहा है। ऐसे में इसकी नीलामी खुली बोली के आधार पर होनी चाहिए।पूर्व जीडीए बोर्ड
मेंबर ने इस मामले की संर्पूण जांच की मांग प्रमुख सचिव आवास से रखी है। इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि इस जमीन पर संस्था का 1968 से कब्जा है। इसलिए संस्था से जमीन का किराया वसूलना चाहिए। यही नहीं जो इसके साथ वाली पूरी जमीन लाला लाजपत राय स्मारक समिति को दी थी। जबकि आईएमटी का संचालन लाजपत राय एजुकेशनल सोसायटी चला रही है। ऐसे में यूजीसी के अलावा मेरठ
स्थित सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में भी इस घोटाले के तार जुड़े हुए हंै। उन्होंने कहा कि जांच की आंच तेज होने पर मेरठ विश्वविद्यालय ने आनन फानन में इस मामले में चार सदस्यीय जांच समिति भी गठित कर दी है। लेकिन यह समिति सिर्फ दिखावे के लिए है।जीडीए अधिकारियों को घेरते हुए उन्होंने कहा कि विवादित भूमि के संबंध में 1994 में एक डिमांड नोटिस आईएमटी को भेजा था। लेकिन इस प्रकरण में 25 साल के बाद आज तक प्राधिकरण ने कोई कार्रवाई नहीं की है। अधिकारी पत्र भेजकर सो गए। यही नहीं जीडीए का टाउन प्लान विभाग इस मामले मे पूरी तरह दोषी है। अगर इस संस्था का नक्शा पास करते समय जमीन के क्षेत्रफल पर ध्यान दिया गया होता तो ऐसा नहीं होता। संस्था को आवंटित 5449 वर्ग गज पर 66980 वर्ग गज पर कैसे नक्शा पास हो गया। इस मामले की पूरी जांच होनी चाहिए।

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad