पटना : लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान की इफ्तार पार्टी में उनके भाई रामचंद्र पासवान, पारस पासवान बेटे चिराग पासवान के अलावा बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी नेता व डिप्टी सीएम सुशील मोदी शामिल हुए। इस इफ्तार पार्टी और हम पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी की इफ्तार पार्टी में नीतीश के शामिल होने पर उनकी कुछ तस्वीरें ट्वीट करते हुए केंद्रीय मंत्री और बीजेपी में दिग्गज नेता गिरिराज सिंह ने कटाक्ष किया था कि कितनी खूबसूरत तस्वीर होती जब इतनी ही चाहत से नवरात्रि पर फलाहार का आयोजन करते और सुंदर सुदंर फोटो आते? अपने कर्म धर्म में हम पिछड़ क्यों जाते और दिखावा में आगे रहते है?
उसके बाद इसको लेकर जदयू नेताओं ने जमकर गिरिराज सिंह पर निशाना साधा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी उन्हें ऐसे बयानों से दूर रहने की सलाह दी। उसके बाद बुधवार को नीतीश कुमार ने उन पर परोक्ष रूप से निशाना साधा। सीएम नीतीश ने कहा कि धार्मिक होने का अर्थ केवल अपने धर्म के रीति-रिवाजों को मानना नहीं होता है बल्कि दूसरे धर्म का सम्मान करना भी होता है और जो लोग ऐसा नहीं मानते हैं वे अधार्मिक हैं।
नीतीश ने कहा, ‘मैं धर्म को मानने वालों के सम्मान में यहां ऐतिहासिक गांधी मैदान में साल 2006 से ईद का कार्यक्रम आयोजित कर रहा हूं। धर्म सिर्फ अपने रीति-रिवाजों का अनुसरण करना नहीं बल्कि दूसरे धर्म को मानने वालों का सम्मान करना भी है।’ सीएम नीतीश ने उनका नाम ना लेते हुए कहा, ‘लेकिन कुछ लोग हैं , जो ऐसा नहीं सोचते हैं। उन्हें लगता है कि खुद के धर्म को मानना काफी है और दूसरे धर्म के रीति – रीवाजों और उनके लोगों को नीचा दिखाना ठीक है। मुझे लगता है कि ऐसे लोग अधार्मिक हैं।’ उन्होंने ने कहा, ‘मैं देख रहा हूं कि आप लोग बार-बार एक व्यक्ति का नाम ले रहे हैं। मैं इन सभी लोगों को लंबे समय से जानता हूं।
कुछ लोग हैं जो सिर्फ चीजों को इसलिए कहना पसंद करते हैं ताकि वह मीडिया का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर सकें। मैं उनके किसी भी कथन पर प्रतिक्रिया नहीं देना चाहूंगा।’ गौर हो कि जदयू-बीजेपी के बीच मनमुटाव शुरुआत तब शुरू हुई, जब पीएम नरेंद्र मोदी के कैबिनट में सीएम नीतीश कुमार ने सांकेतिक रूप से शामिल किए जाने के ऑफर को ठुकरा दिया। इसके दो दिन बाद ही नीतीश कुमार ने अपने कैबिनेट का विस्तार किया, जिसमें बीजेपी के एक भी एमएलए को शामिल नहीं किया।
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