काठमांडू। नेपाल सरकार ने आगामी 26 नवंबर को संसदीय चुनाव कराने की घोषणा की है जिससे देश में 239 वर्ष पुरानी राजशाही और गृहयुद्ध के खात्मे के बाद एक दशक से लागू लोकतंत्र में जारी राजनीतिक संकट के खत्म होने के आसार हैं।
नेपाल में 2015 में लागू किये गये प्रथम गणतांत्रिक संविधान में दी गयी समय सीमा के अनुरूप 21 जनवरी 2018 के पहले देश की नई संसद का गठन किया जाना है।
देश के विधि एवं न्याय मंत्री यज्ञ बहादुर थापा ने चुनाव की तारीख को लेकर कैबिनेट के निर्णय की पुष्टि करते हुए कहा कि नेपाली जनता अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का उत्सव मनाएगी। उन्होंने कहा, यह एक बड़ा उत्सव होने वाला है। इसमें कोई संदेह नहीं है। उन्होंने बताया कि नये संविधान के तहत कायम संघीय प्रणाली में गठित सात राज्य विधानसभाओं के चुनाव भी इसी दिन होंगे।
संसदीय चुनाव प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउबा के लिये एक निजी विजय होगी जिन्हें नेपाल के आखिरी राजा ज्ञानेन्द्र ने 2002 में अयोग्य करार देकर प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था। राजा ज्ञानेन्द्र ने उन्हें माओवादी उग्रवाद को नियंत्रित करने एवं चुनाव कराने में विफलता को लेकर पद से हटाया था।
गौरतलब है कि पड़ोसी देश नेपाल 2006 में एक दशक लंबा माओवादी संघर्ष खत्म होने और इसके दो वर्ष बाद राजशाही की समाप्ति के बाद से ही राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है। आर्थिक तौर पर पिछड़े देश नेपाल में 2008 से अब तक यानी नौ वर्ष में नौ सरकारें बदल चुकी हैं। नेपाल की दो करोड़ 80 लाख की आबादी एशिया की सबसे गरीब आबादियों में से एक है जहां प्रतिव्यक्ति आय दो डॉलर प्रतिदिन से कम है।
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