वित्तीय मुश्किलों से घिरे जयप्रकाश (जेपी) एसोसिएट्स यमुना एक्सप्रेस वे प्रॉजेक्ट बेचना चाहता है। इस बारे में उसने सुप्रीम कोर्ट से अनुमति भी मांगी है।
जेपी ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह यमुना एक्सप्रेस वे के आसपास की जमीन को दूसरी कंपनी को 2500 करोड़ में बेचना चाहता है। इसकी अनुमति उन्हें दी जाए।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि 27 अक्टूबर तक जेपी ग्रुप कोर्ट में रजिस्ट्री के 2000 करोड़ रुपये जमा कराए।
सुप्रीम कोर्ट ने जेपी इंफ्राटेक के दिवालिया घोषित किए जाने के मामले पर पिछली सुनवाई में यह रकम जमा कराने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद जेपी इंफ्रा ने कोर्ट से राहत की गुहार लगाई थी। हालांकि, कोर्ट ने उसकी याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया। साथ ही यह भी कहा था कि हम अपने आदेश में कोई संशोधन नहीं करेंगे।
यमुना अथॉरिटी का जेपी ग्रुप पर 453 करोड़ रुपये का बकाया था इसलिए यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी ने जेपी ग्रुप को झटका देते हुए उसकी SEZ लीज को खत्म कर दिया। अथॉरिटी ने 500 एकड़ की जमीन अलॉट की थी। यह जमीन जेपी ने अथॉरिटी से लीज पर लेकर के कई प्राइवेट बिल्डरों को सब-लीज पर दे दी थी।
यह ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ है। जमीन के पास में ही बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट और स्पोर्ट्स सिटी है। यानी अब यमुना एक्सप्रेस वे के आसपास की जमीन का अधिकार जल्द ही किसी अन्य कंपनी को मिल सकता है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को करेगा।
-एजेंसी
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