नई दिल्ली। पृथ्वीराज चौहान द्वारा 11 वीं सदी में बनाये गये लाल कोट के अतिक्रमण को लेकर नाखुश दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर कई याचिका दाखिल किये जाने बावजूद कार्रवाई नहीं करने पर ADMC को फटकार लगायी है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की एक खंडपीठ ने निगम से पूछा कि अदालत को ऐसा क्यों नहीं मानना चाहिए कि दक्षिण दिल्ली के महरौली में स्थित विरासत स्थल के अतिक्रमण में नगर निगम के अधिकारियों और बिल्डर के बीच मौन सहमति है।
अदालत ने कहा, ‘‘सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण को लेकर एक व्यक्ति द्वारा पांच रिट याचिका दायर किये जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गयी जो कि एक दयनीय स्थिति है। यह दक्षिण दिल्ली नगर निगम के आचरण के बारे में बताता है।’’ अदालत ने एसडीएमसी के आयुक्त को हलफनामा दायर करने को कहा गया है कि कब निगम के अधिकारियों ने अवैध निर्माण और अतिक्रमण को देखा और क्या कार्रवाई की गयी।
अदालत ने अतिक्रमण के खिलाफ निगम को मिली शिकायतों के बारे में तारीख के साथ विस्तार से विवरण देने के साथ ही और संरक्षित स्मारक पर अवैध गतिविधियों के खिलाफ उसे पूर्व में मिली पांच पीआईएल की प्रतियों के बारे में तारीखवार ब्यौरा देने को भी कहा है।
अदालत मीना कुमारी द्वारा दायर एक पीआईएल की सुनवाई कर रही थी जिन्होंने आरोप लगाया है कि एक व्यक्ति दक्षिण दिल्ली के महरौली में ऐतिहासिक किले का अतिक्रमण कर रहा है और ADMC की अनदेखी के चलते उसने वहां अनधिकृत निर्माण करवाया है।
-एजेंसी
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