नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन बिल 2017 को मंजूरी दे दी है। इसमें सेंट्रल कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी बनाने का प्रावधान किया गया है। सरकार इस बिल को संसद के मौजूदा सत्र में पेश कर सकती है और संसद से मंजूरी मिलने के बाद इस कानून को लागू कर दिया जाएगा। अब सवाल है कि इस बिल से आम आदमी के जीवन में क्या बदलाव आएगा?
इस बिल के बाद झूठे दावे करने वाली कंपनियों के अलावा उसका विज्ञापन करने वाले सिलेब्रिटीज के खिलाफ भी कार्यवाही होगी। इस बिल के तहत जुर्माने और सजा दोनों का प्रावधान है। यानी अब उपभोक्ताओं के हाथों में उत्पाद को परखने का अधिकार होगा और झूठे दावों के खिलाफ वे बड़ी लड़ाई लड़ सकेंगे क्योंकि उसकी बातों पर कार्यवाही होगी और वह भी जल्दी।
इस बिल में सेंट्रल कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी बनाने का प्रस्ताव शामिल है। यह अथारिटी सभी शिकायतों पर गौर करेगी और कार्यवाही की सिफारिश करेगी। नया बिल कन्ज्यूमर के हितों की रक्षा करेगा। साथ ही नए बिल के तहत ब्रैंड को लेकर सिलेब्रिटी की जिम्मेदारी तय होगी और गुमराह करने वाले विज्ञापन पर भी कार्यवाही होगी।
इस बिल के तहत 10 लाख रुपये का जु्र्माना और 2 साल की सजा का प्रस्ताव है। नया बिल डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों पर भी लागू होगा। इस बिल के तहत गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर सरकार सख्त कदम उठाने का प्रावधान शामिल है।
अगर कोई ब्रैंड अपने प्रॉडक्ट का भ्रामक या झूठा प्रचार करेगा तो उसके खिलाफ कार्यवाही होगी। इसकी जिम्मेदारी ब्रैंड ऐंडॉर्समेंट करने वालों पर भी रखी गई है। किसी भी विज्ञापन के निर्धारित मानकों के तहत गलत या भ्रामक पाए जाने पर ब्रैंड ऐंडॉर्समेंट करने वाले को जिम्मेदार बताया जाएगा जिसके लिए उसे 10 से 50 लाख रुपए तक का जुर्माना और 2 से 5 साल तक की जेल भी हो सकती है।
सरकार ने सेंट्रल कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी का गठन अमेरिका व यूरोपीय देशों में बनी अथॉरिटीज के अनुसार किया है। इस अथॉरिटी के पास मैगी जैसे मामले को निपटाने का भी अधिकार होगा, जिसमें स्वीकार्य मात्रा से अधिक लेड का सवाल उठा था। नए कानून में फूड पॉइजनिंग जैसे कुछ मामलों में आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।
अगर उपभोक्ता को लगता है कि किसी प्रॉडक्ट के बारे में विज्ञापन में गलत दावा किया गया है तो उसे सेंट्रल कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी में अपनी शिकायत का पूरा ब्यौरा देना होगा। इस बात का ब्योरा भी देना होगा कि प्रॉडक्ट के बारे में जो दावे किए गए हैं, वे किस तरह से झूठे साबित हुए। शिकायत मिलने के बाद अथॉरिटी इसकी जांच करेगी और कंपनी व उस प्रॉडक्ट का विज्ञापन करने वाले सिलेब्रिटी से पूछताछ की जाएगी। सिलेब्रिटी से पूछा जाएगा कि क्या प्रॉडक्ट का विज्ञापन करने से पहले उसकी क्वॉलिटी के बारे में आपको सारी बातें बता दी गई थीं? क्या आपने उन दावों को चेक किया था? अथॉरिटी के पास कंपनी व सिलेब्रिटी के खिलाफ न केवल कार्यवाही का अधिकार होगा, बल्कि वह कंपनी का लाइसेंस रद्द कर सकेगी और प्रॉडक्ट को रिकॉल करने का आदेश भी दे सकेगी।
-एजेंसी
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