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Saturday, 24 February 2018

चिकित्साधिकारी के फरेब से धड़ाम हो रहे शासनादेश

– आजमगढ़ के मंडलीय जिला अस्पताल में तैनात है अधिकारी
– बार-बार झूठी सूचनायें भेजकर शासन को कर रहा गुमराह
– झक मारने को मजबूर हैं, पदोन्नति पाने वाले अधिकारी/कर्मचारी


अनुराग शर्मा

आजमगढ़। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में फरेब के आधार पर शासनादेशों को धड़ाम करने के सिलसिला जारी है। आधूरी व झूठी सूचनाओं के आधार पर स्कीन डाॅक्टर के समायोजन संबंधी शासनादेश रद्द कराने में सफल होने के बाद, प्रशासनिक अधिकारी के समायोजन का शासनादेश रद्द कराने की पटकथा रची गई है।

मंडलीय जिला अस्पताल में प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक पद पर तैनात यह अधिकारी, यूं तो फिजीशियन से एसआईसी बनने के बाद से ही फरेब कथा लिखने लगा था, लेकिन शासन के पकड़ में 19 जनवरी 2018 को आया। इस पर नाराज हुये निदेशक प्रशासन ने पत्रांक संख्या- 4डी(1)/प्र0अधि0प्रो/2016/659 के माध्यम से फरेब को हवाला देते हुये फरेब में शामिल समस्त अधिकारियों का स्पष्टिकरण सहित नाम/पदनाम मांगा, लेकिन यह 31 जनवरी 2018 को पत्रांक संख्या-एसआईसी/लिपिक/प्र0अधि0/2017-18/2566 के द्वारा सिर्फ खेद प्रकट कर, उन्हें पानी पिला दिया। कहावत भले हो कि दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पिता है, इस अधिकारी पर नहीं बैठती। 31 जनवरी को अपनी व सहयोगियों की गलती के लिये क्षमा मांगने के बाद भी 6 फरवरी 2018 को इसने जानबूझ कर एक बड़ी गलती की। पत्रांक संख्या-स्वा0/चि0अ0/2017-18/ 2608 के तहत जिलाधिकारी/एडी/सीएमओ को लिखे गये इस पत्र में इस अधिकारी ने अस्पताल की ही मेडिकल आॅफिसर डाॅ. पुनम कुमारी की तहरीर संलग्न कर डाॅ. रफी परवजे पर एससी/एसटी धारा में एफआईआर दर्ज होना बता दिया, जबकि डाॅ रफी पर अबतक न तो कोई एफआईआर है, न ही एनसीआर। इस प्रकरण में सबसे बड़ी बात यह कि जो डाॅ. पुनम कुमारी तहरीर में स्वयं को अनुसूचित जनजाति का बता रही हैं, उनकी नियुक्ति लोक सेवा आयोग से ओबीसी कैटेगरी में हुई है। इस अधिकारी के जिस पत्र (पत्रांक- स्वा0/चि0अधि0/2017-18/2026, दिनांक 8/12/2017)से डाॅ रफी परवेज का समायोजन/अनुस्मारक रद्द हुआ, उसकी बात करें तो इसने पत्र में डाॅ. रफी परवेज के वरिष्ठता क्रमांक (11861, लेवल-2) का जहां जिक्र किया है, वहीं डाॅ. पूनम कुमारी का वरिष्ठता क्रमांक व लेवल का हवाला देने की बजाय कपल पोस्टिंग का आधार बता चर्म रोग विशेषज्ञ की हैसियत से नियमित कार्य करना दिखाया है। यहां इसने शासन को यह भी नहीं बताया है, कि डाॅ. पूनम कुमारी, किस तारीख में किस अधिकारिक आदेश या शासनादेश से चर्म रोग विशेषज्ञ के पद पर पदोन्निति हुई है।

मेडीलैब और पीओसीटी में भी फरेब की सूचना
मंडलीय अस्पताल में संचलित मेडीलैब व पीओसीटी में बड़े घोटाले की सूचना आ रही है। हकीकत जो भी हो, इसके पीछे भी अधिकारिक फरेब ही मुख्य कारण बताया जा रहा है। घोटाला कैसे हुआ, कितना बड़ा है, इसके लिये लखनऊ मेें मंथन पर मंथन जारी है। जानकारी मिल रही है कि कमीशन के चक्कर में स्थानीय अधिकारियों ने क्रमवार मेडीलैब (बोगस जांच के लिये) व पीओसीटी को (आरसी ताक पर रख कर) अरबों रूपये का भुगतान कर दिया है।

डीएम, एडी और डीएम को मैने डाॅ. रफी के बारे में जो चिट्ठी लिखी है, उसमें एफआईआर शब्द को इस्तेमाल किया है, लेकिन मेरा भाव तहरीर दिये जाने का ही था। मेरे पास मौजूद दस्तावेजों के अनुसार डाॅ. पूनम कुमारी ओबीसी कैटेगरी में हैं, न की एससी या एसठी कैटेगरी में —डाॅ. जी एल केशरवानी (एसआईसी)

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