तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ,अहमद हसन ने जनपद को दी थी सौगात
राज्य सभा सांसद नरेश अग्रवाल ,उनके बेटे नितिन अग्रवाल के प्रयासों से हुआ था संभव
हरदोई-23 फरवरी में लखनऊ मार्ग पर लाखों रुपये खर्च करके बनाये गए ट्रामा सेंटर भवन की बिल्डिंग में अभी तक एक भी मरीज ने कदम नही रखा है लेकिन नव निर्मित भवन की दीवारों में दरारें पड़ गयी है वही कई जगह से प्लास्टर उखड़ गया है।कमीशन खोरी में बनाये गए इस भवन में दरारें इसी भवन में संचालित सीएमओ कार्यालय के मुखिया सीएमओ को नही दिखायी पड़ी।हालांकि दरारों को भरने व प्लास्टर को पुनः ठीक ठाक कराये जाने का काम शुरू कर दिया गया है लेकिन बिल्डिंग के मानकों को ताक पर रखा गया और सीएमओ आंखें बंद किये है यह विषय जाँच का है।स्थिति यही रही तो यह भवन कब गिर जाएगा कुछ कहा नही जा सकता।शहर के लखनऊ रोड़ पर डेढ़ हजार वर्ग मीटर भूमि पर ट्रामा सेंटर का निर्माण कार्य किया गया।यह निर्माण कार्य पूरी तरह से मानक विहीन हुआ जिसके चलते भवन में जहां जगह जगह प्लास्टर उखड़ गए है वही कई दीवारों में दरारें आ गई है।वर्ष 2013 में सपा के राष्ट्रीय महासचिव नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल जब प्रदेश की सपा सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री बने तो उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर काम किया और लखनऊ-हरदोई हाइवे पर नयागांव के पास ट्रामा सेंटर व नया अस्पताल एवं स्वास्थ्य विभाग का नया कैंपस बनाने के लिए शिलान्यास कराया।वर्ष 2016 में चिकित्सा मंत्री अहमद हसन,राज्यमंत्री नितिन अग्रवाल एवं राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल ने ट्रामा सेंटर का लोकापर्ण किया था औरमगर उसके बाद सूब में निजाम बदल गया और भाजपा के योगी सरकार में ट्रामा सेंटर को लेकर अफसर उदासीन से नजर आ रहे है।वही मानक विहीन बनाई गई बिल्डिंग अपने इलाज के लिए बाट जोह रही है।वहीं करोड़ों की लागत से सपा सरकार में बनाए गए ट्रामा सेंटर पर अव्यवस्थाओं का साया है। आलम यह है कि न तो यहां डॉक्टर है न स्टॉफ ऐसे में यहां इलाज कैसे हो इसको लेकर किसी को फ्रिक नहीं है। जिसके चलते जब कभी लोग किसी घायल को लेकर यहां पहुंचते है तो अधिकारी या फिर मौजूद रहने वाले कर्मी उसे जिला अस्पताल रेफर कर देते है। ऐसे में लोगों को यहां घायलों एवं मरीजों को लाने में डर लगता है कि इलाज न मिल पाने पर क्या होगा।दिसंबर 2016 में चालू किए गए इस ट्रामा सेंटर में अभी तक नर्स, वार्डबॉय, स्पेशलिस्ट डॉक्टरों तक की तैनाती न हो सकी है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि योगी सरकार में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर अफसर कितने सजग है। यहां कि तस्वीरे साफ तौर पर बताती है कि ट्रामा सेंटर जहां महज रेफर सेंटर बना हुआ है, वहीं यहां संविदा एवं अटैचमेंट के आधार में तैनात किए गए मेडिकल अॉफीसर आदि सन्नाटे में समय काटते नजर आते है। यह हालत तब है जब ट्रामा सेंटर से महज चंद कदमों पर ही जिले के स्वास्थ्य विभाग के सबसे बड़े अफसर सीएमओ का कार्यालय है, मगर सीएमओं कार्यालय परिसर जिस तरह से कीचड़ और जलभराव से ग्रस्त है उससे जिले की स्वास्थ्य सेवाओं का अंदाजा लगाना सहज हो जाता है।
No comments:
Post a Comment