माल्या, पीएनबी, रोटोमैक जैसे घोटालों ने बैंकों की हालत खराब कर दी है। भारतीय बैंकों पर सितंबर 2017 तक नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) या डूबत खाता 8.29 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया है। यानी यह बैंकों द्वारा बांटे गए कर्ज का वो पैसा है जिसकी रिकवरी की संभावना नहीं है। आसान भाषा में समझें तो यह इतना पैसा है कि देश की 133 अरब आबादी से अगर इस पैसे की वसूली की जाए तो हर शख्स को 6,233 रुपए देने होंगे।
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