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Tuesday 3 April 2018

भारत को मिली सिरिंज विवाद में राहत की सांस

गोल्ड कोस्टः भारतीय मुक्केबाजी दल को राहत देते हुए सीरिंज विवाद में डाक्टर अमोल पाटिल को बड़ी सजा सुनाने की बजाय फटकार लगाकर छोड़ दिया जिन्होंने निर्धारित प्रक्रिया का पालन करके सुइयां नष्ट नहीं की थी। राष्ट्रमंडल खेल महासंघ ने सीजीएफ अदालत में सुनवाई के बाद जारी बयान में कहा,‘‘ राष्ट्रमंडल खेल महासंघ की अदालत ने डाक्टर अमोल पाटिल के खिलाफ सीजीएफ मेडिकल आयोग की शिकायत पर सुनवाई की। उन पर खेलों की ‘नो नीडल पालिसी’ के उल्लंघन का आरोप था ।’’ पाटिल ने थके हुए खिलाडिय़ों को विटामिन बी काम्प्लेक्स इंजेक्शन के जरिए दिए थे । सीजीएफ ने एक बयान में कहा,‘‘ नो नीडल पालिसी के तहत सुइयों को एक निर्धारित स्थान पर एकत्र करके रखने होते हैं जहां तक सिर्फ सीजीए दल के अधिकृत मेडिकल कर्मचारी ही पहुंच सकते हैं। पोलिक्लीनिक का दो बार दौरा करने तक ये सुइयां नष्ट नहीं की गई थी ।’’ इसमें कहा गया ,‘‘ ऐसे हालात में सीजीएफ अदालत ने तय किया कि सीजीएफ को इस उल्लंघन के लिए डाक्टर को कड़ी लिखित फटकार लगानी चाहिए।’’ आगे कहा गया,‘‘ इसकी एक प्रति भारत के दल प्रमुख को भी दी जानी चाहिए जिन्हें बताया जाए कि वह ये सुनिश्चित करें कि आगे भारतीय दल के किसी सदस्य द्वारा सीजीएफ की किसी नीति का उल्लंघन नहीं किया जाएगा ।’’ सीजीएफ ने संबंधित राष्ट्रीय संघ या खिलाड़ी का नाम नहीं लिया था लेकिन ऐसी अटकलें थी कि यह देश भारत है। सीरिंज मिलने के बाद कराए गए डोप टेस्ट हालांकि नेगेटिव रहे । सीजीएफ ने कहा,‘‘ पूछताछ के दौरान डाक्टर ने स्वीकार किया कि उन्हें नो नीडल पालिसी की जानकारी थी । उन्होंने 19 मार्च से अब तक इस्तेमाल की गई सुइयों की जानकारी दी और जांच में सहयोग किया ।’’ इसमें कहा गया ,‘‘ सीजीएफ अदालत ने पाया कि नो नीडल पालिसी के अनुच्छेद एक और दो का उल्लंघन किया गया है ।डाक्टर को सुइयां कमरे में रखनी चाहिए थी लेकिन वह उन्हें फेंकने के लिए शार्पबिन मांगने पोलीक्लीनिक गए।’’ सीजीएफ ने इस बात पर भी गौर किया कि भारतीय दल के साथ अधिक डाक्टर नहीं हैं । बयान में कहा गया ,‘‘भारतीय दल में 327 सदस्य हैं जबकि सिर्फ एक डाक्टर और एक फिजियो है। ( मुक्केबाजी दल के डाक्टर के अलावा ) । भारतीय दल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और संबंधित डाक्टर का यह पहला राष्ट्रमंडल खेल है।

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