हरदोई।01 अप्रैल देखते देखते मालामाल बनने और सभी सुख सुविधाओं से परिपूर्ण होने की तमन्ना में शॉर्टकट रास्ता अपनाकर अमीर बनने की चाह में लोग बर्बाद हो रहे हैं।पिहानी कस्बे में पुलिस की छत्रछाया में इस अमीरियत पाने का जज्बा सट्टा के जरिए लोगों में बढ़ती ही जा रही है ।मालूम हो कि पिहानी कस्बे में सट्टे का गोरखधंधा काफी अर्से से पैर पसारे है। जो कि यहाँ सट्टा बाजार का गोरखधंधे के नाम से लोकप्रिय है। जानकार बताते हैं कि यहाँ पर बाकायदा दुकान और मकान में ऑफिस खोलकर खुले आम दिनदहाड़े बेखौफ इसकी लिखाई पढ़ाई की जाती है।कई व्यक्ति ऐसे भी हैं जिन्होंने इस सट्टे के दांव पर लाखों रुपए की क्षति का जोखिम उठाकर जीवन बर्बाद कर रखा है। संज्ञान में आया है कि इस सट्टे के दांव पर महिलाएँ और नवयुवक भी बढ़ चढ़कर भाग ले रहे हैं।क्या पुलिस नहीं जानती है कि इस दुकान में क्या होता है?या संचालक के मकान में प्रतिदिन एकत्रित भीड़ के लोग देर रात समय वहाँ क्या लेने जाते हैं?सूत्र बताते हैं कि इस सट्टे बाजार में 24 घंटे में चार बार नम्बर लिखाई व पढाई करके चार बार ही लकी नम्बर आते हैं।जिनका अलग अलग समय निर्धारित है।राजधानी,हाजी,गली और देशावर इत्यादि नामों से यह चारों समय सारिणी के सट्टों का अलग अलग नाम प्रचलित है।जानबूझकर पुलिस द्वारा छोड़ दिया जाता है जिससे अपराधियों के हौसले बुलंद हो जाते हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि कहीं न कहीं गड़बड़ी जरुर है वरना विगत दिनांक 29 मार्च को अरशद अब्बास पुत्र मजहर अब्बास निवासी मोहल्ला खुरमुली ने चाँदू उर्फ निसार हुसैन पुत्र नत्थू के विरुद्ध उधारी के कुल 37400 रुपयों के लेन देन में हुई मारपीट में पीड़ित पक्ष ने कोतवाली पिहानी में लिखित सूचना देकर अवगत कराया था कि सट्टे और जुए का कारोबार कराया जा रहा है। इसके अलावा कस्बे में आए दिन संचालित लाखों रुपए के जुए के बिछ रहे फड़ों से फल-फूल रहे जुए के गोरखधंधे की सूचना मिलने पर भी पुलिस बहानेबाजी करके उनके ठिकानों पर छापामारी नहीं करती है।किसके बलबूते या किसके संरक्षण पर चल रहा यह काली कमाई का गोरखधंधा?आखिर पुलिस क्यूं नहीं पकड़ती ?
Post Top Ad
Sunday 1 April 2018
Home
tarunmitra
पिहानी पुलिस की छत्रछाया में फल-फूल रहा सट्टा बाजार,दाँव पर बर्बाद होते जीवन,उजड़ते परिवार
पिहानी पुलिस की छत्रछाया में फल-फूल रहा सट्टा बाजार,दाँव पर बर्बाद होते जीवन,उजड़ते परिवार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment